विभिन्न अध्ययनों में सामने आया है कि नए बने आईआईटी में औसत वार्षिक वेतन 15-16 लाख रुपये से घटकर 12-14 लाख रुपये रह गया है.
वीडियो: महज 10 दिनों के भीतर अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा बैंक सिलिकॉन वैली बैंक डूबा, फिर तीसरा सबसे बड़ा सिग्नेचर बैंक. इसके बाद यूरोप में 166 साल पुराने स्विट्जरलैंड के दूसरे सबसे बड़े बैंक क्रेडिट सुईस की भी नैया डूब गई. दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा?
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को पत्रकारों से कहा था कि अगर भारत आर्थिक मंदी का सामना करता है तो यह जून के बाद ही होगा, लेकिन केंद्र ऐसी स्थिति से बचने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था में होने वाली किसी भी हलचल की सूरत में भारत को ख़राब स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा क्योंकि अब यह व्यापार, निवेश और वित्त में कहीं अधिक वैश्वीकृत हो चुका है. आज यहां यूएस फेडरल रिज़र्व की कार्रवाइयां भारतीय रिज़र्व बैंक की तुलना में अधिक असर डालती हैं.
आने वाले समय में बेहतर उपभोक्ता मांग से इसमें और सुधार की उम्मीद जताई जा रही है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. अगर दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में गिरावट रहे तो उस अर्थव्यवस्था को मंदी में कहा जाता है.
आरबीआई के रिसर्चर द्वारा तैयार की गई अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत तकनीकी रूप से 2020-21 की पहली छमाही में अपने इतिहास में पहली बार आर्थिक मंदी में चला गया है.
विश्व बैंक ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति इससे पहले के किसी भी समय की तुलना में काफ़ी ख़राब है. कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को थामने के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन का भी प्रतिकूल असर पड़ा है.
शेयरधारकों को लिखे पत्र में भारतीय उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि भारत में कोविड-19 ऐसे समय आया है, जबकि वैश्विक अनिश्चितता तथा घरेलू वित्तीय प्रणाली पर दबाव की वजह से आर्थिक परिस्थितियां पहले से सुस्त थीं.
अमेरिकी श्रम विभाग का कहना है कि 18 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में देश के 44 लाख से अधिक लोगों ने बेरोज़गारी लाभ के लिए आवेदन किया है.
आजकल रोज़गार उपलब्ध कराना एक शिगूफ़ा बन गया है. कोई भी बड़ा निवेशक जब कहीं निवेश करता है तो सबसे पहले यही बात करता है कि वो रोज़गार उपलब्ध कराएगा. होता कितना है ये पलट कर कभी नहीं देखा जाता.
अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत को विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनना चाहिए. केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से बुनियादी ढांचे पर खर्च आर्थिक वृद्धि के लिए अहम है. वैश्विक आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए सभी विकसित और उभरती अर्थव्यस्थाओं द्वारा समन्वित और समयबद्ध तरीके से कदम उठाने की आवश्यकता है.
देश के सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने कहा है कि युवा आबादी में ओला, उबर सेवाओं का इस्तेमाल बढ़ना आर्थिक मंदी का कोई ठोस कारण नहीं है बल्कि इसके विपरीत इस संबंध में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए एक विस्तृत अध्ययन किये जाने की आवश्यकता है.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर बीएस6 और लोगों की सोच में आए बदलाव का असर पड़ रहा है, लोग अब गाड़ी खरीदने की बजाय ओला या उबर जैसी कैब सर्विस को तरजीह दे रहे हैं.
भारतीय ऑटोमोबाइल विनिर्माता सोसायटी की ओर से कहा गया है कि अगस्त 2019 में घरेलू बाज़ार में कारों की बिक्री 41.09 प्रतिशत घटकर 1,15,957 कार रह गई जबकि एक साल पहले अगस्त में 1,96,847 कारें बिकी थीं. वाहन निर्माता कंपनी अशोक लेलैंड ने सितंबर में अपनी विभिन्न निर्माण इकाइयों में उत्पादन बंद रखने का फैसला किया.
वीडियो: मीडिया बोल के इस अंक में भारतीय अर्थव्यवस्था के गिरते स्तर पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश आर्थिक मामलों की विशेषज्ञ पत्रकार पूजा मेहरा, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की छात्रा आकृति भाटिया और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के साथ चर्चा कर रहे हैं.