मई-जून में उत्तर भारत में पसरती भीषण गर्मी से चुनाव आयोग अनजान नहीं था, लेकिन उसने चुनाव को खींचकर इतना लंबा किया कि हज़ारों कार्मिकों की जान पर बन आई और उनके लिए यह चुनाव यातना शिविर में तब्दील हो गया.
केंद्र सरकार के डेटा के अनुसार, मार्च से मई तक पूरे देश में हीटस्ट्रोक से कम से कम 56 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें से 46 मौतें अकेले मई में हुई हैं.
शुक्रवार को भारत में गर्मी से संबंधित कम से कम 40 संभावित मौतें हुई हैं, जिनमें से 25 उत्तर प्रदेश और बिहार में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के लिए तैनात मतदान कर्मी हैं.
मध्य, पूर्वी और उत्तरी भारत में भीषण गर्मी के कारण कम से कम 54 लोगों की मौत हो गई, बिहार में सबसे अधिक32 लोगों की जान गई. शोधकर्ताओं का कहना है कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन ने भारत में विनाशकारी गर्मी के प्रभाव को बढ़ाया है और इसे एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए.