11 अगस्त को नागपुर के कमिश्नर द्वारा एकाएक शहर के बीचोंबीच बने रेड लाइट एरिया 'गंगा-जमुना' को बंद करने के आदेश के बाद यहां की सेक्स वर्कर्स की आय बंद हो गई. राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री यशोमती ठाकुर ने इस क़दम की आलोचना करते हुए कहा है कि पुलिस ने उनकी आजीविका के बारे में सोचे बिना यह कार्रवाई की है.
एनएचआरसी की एडवाइज़री में कहा गया है कि सेक्स वर्कर्स को अनौपचारिक कामगार के तौर पर मान्यता दी जानी चाहिए और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए उन्हें अस्थायी दस्तावेज जारी किया जाना चाहिए. कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण इनकी दयनीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह क़दम उठाया गया है.
कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र हुए लॉकडाउन ने हज़ारों कामगारों पर आजीविका का संकट ला दिया है, जिससे उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी चलनी मुश्किल हो गई है. इन कामगारों में सेक्स वर्कर्स भी शामिल हैं.
उत्तर कोलकाता में तैयार किया गया है पंडाल. आयोजनकर्ताओं के अनुसार, इसके माध्यम से वे इन सेक्स वर्करों की समाज में सहभागिता बढ़ाने और उन्हें वह सम्मान देने की कोशिश कर रहे जिसकी वो हक़दार हैं.