योगी आदित्यनाथ ने मथुरा में शराब एवं मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रमों में कहा कि वृन्दावन, गोवर्धन, नन्दगांव, बरसाना, गोकुल, महावन एवं बलदेव में जल्द ही मांस और शराब की बिक्री बंद कर इन कार्यों में लगे लोगों का अन्य व्यवसायों में पुनर्वास किया जाएगा.

किसी भी आदिवासी को उसके दावे का निपटारा किए बिना ज़मीन से बेदख़ल नहीं किया जाना चाहिए: एनएचआरसी

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने एक वेबिनार में कहा कि आयोग इस बात पर ग़ौर करेगा कि वह अपनी ज़मीन पर आदिवासी लोगों के दावों के न्यायनिर्णयन और उसके वितरण की नीति के संबंध में क्या कर सकता है. आयोग मानवाधिकार के नज़रिये से विभिन्न क़ानूनों की समीक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

छत्तीसगढ़: क्या नक्सलवाद से जुड़ी सरकारी योजनाएं एक छलावा बनकर रह गई हैं

विशेष रिपोर्ट: साल 2004 में छत्तीसगढ़ की तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने 'नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना’ शुरू करते हुए नक्सल पीड़ित व्यक्तियों/परिवारों व आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और पुनर्वास की बात कही थी. योजना के पात्र व्यक्तियों का कहना है कि इसकी ज़मीनी हक़ीक़त कागज़ों पर हुए वादों से बिल्कुल अलग है.

पुलिसकर्मी को जेल अधीक्षक के तौर पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है: उत्तराखंड हाईकोर्ट

अदालत ने कहा कि हम क़ैदियों के सुधार और पुनर्वास के दौर में आ गए हैं. पुलिस एवं जेल प्रशासन की ट्रेनिंग अलग-अलग होती है, इसी आधार पर उनकी सोच का भी निर्माण होता है, इसलिए पुलिस अधिकारी को जेल का काम नहीं सौंपा जा सकता.

आम बजट ने लफ़्फ़ाज़ी के अलावा शहरी ग़रीबों को कुछ नहीं दिया

वैश्विक महामारी दौर में केंद्रीय बजट के बाद शहरों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था जिसमें शब्दों के परे ऐतिहासिक करने का अवसर था. शहरी ग़रीबों को लगा था कि यह बजट उनका होगा, लेकिन कुछ घोषणाओं व शब्दों के खेल के अलावा बजट में महत्वपूर्ण रूप से उनकी बात नहीं हो पाई.

कश्मीरी पंडितों ने 31वें ‘विस्थापन दिवस’ पर जम्मू में प्रदर्शन किया

विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने घाटी में वापसी, पुनर्वास और घाटी में बसने के लिए एक स्थान देने की अपनी मांगों के समर्थन में जम्मू स्थित संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. उन्होंने मांग की कि 1990 में उन लोगों को घाटी से बाहर करने के पीछे ज़िम्मेदार लोगों को दंडित करने के लिए एक ‘नरसंहार आयोग’ का गठन किया जाए.

केंद्र ने अदालत से कहा, रेल लाइन के साथ बसी झुग्गियों पर फिलहाल कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी

बीते 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में दिल्ली में लगभग 140 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक के आसपास में फैली क़रीब 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों को तीन महीने के भीतर हटाने का आदेश दिया था.

त्रिपुरा: ब्रू विस्थापन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन पर पुलिस की गोलीबारी, दो की मौत

मिज़ोरम से आए ब्रू प्रवासियों को त्रिपुरा में बसाने के विरोध में संयुक्त आंदोलन समिति उत्तरी त्रिपुरा ज़िले के पानीसागर में असम-अगरतला राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर प्रदर्शन कर रही थी, जब पुलिस ने बल प्रयोग और फायरिंग की. पुलिस का कहना है कि उनकी तरफ से आत्मरक्षा में गोली चलाई गई थी.

‘नेता पुल बनवा देंगे कहकर वोट ले जाते हैं और हम वहीं के वहीं रह जाते हैं’

ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी-बिहार सीमा पर पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र के गंडक नदी के किनारे बसे आखिरी धूमनगर गांव के कुछ टोले केवल नावों के सहारे जुड़े हैं. ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से पुल बनाने की मांग उठने के बावजूद प्रशासन की तरफ से कोई सुनवाई नहीं है.

बिहार: कोसी में बाढ़ से बचने को बनाए जा रहे तटबंध सभी रहवासियों के लिए ख़ुशी का सबब नहीं हैं

ग्राउंड रिपोर्ट: आज़ादी के बाद कोसी की बाढ़ से राहत दिलाने के नाम पर इसे दो पाटों में क़ैद किया गया था और अब लगातार बनते तटबंधों ने नदी को कई पाटों में बंद कर दिया है. इस बीच सुपौल, सहरसा, मधुबनी ज़िलों के नदी के कटान में आने वाले गांव तटबंध के लाभार्थी और तटबंध के पीड़ितों की श्रेणी में बंट चुके हैं.

‘घर बनवाने के लिए पैसे जुटाए थे लेकिन गांव का हाल देखकर नाव बनवा ली’

ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार के सुपौल ज़िले के निर्मली विधानसभा क्षेत्र में कोसी नदी के सिकरहट्टा-मंझारी तटबंध पर बसे पिपराही गांव से गुज़र रही धारा में कम पानी होता था, पर बीते कई सालों से बारह महीने इतना पानी रहता है कि बिना नाव के पार नहीं किया जा सकता है. इस साल मई से सितंबर के बीच यहां पांच बार बाढ़ आ चुकी है.

बिहार चुनाव: ‘हमरे दुख में केहू नाहीं आइल, वोट मांगे के मुंह केहू के ना बा’

ग्राउंड रिपोर्ट: पश्चिम चंपारण ज़िले के लक्ष्मीपुर रमपुरवा गांव के सीमाई पांच टोले के पांच सौ से अधिक ग्रामीण गंडक नदी की बाढ़ और कटान से हुई व्यापक तबाही के बाद फिर से ज़िंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद में लगे हैं. अस्तित्व के संकट जूझ रहे इन टोलों में चुनावी कोलाहल की गूंज नहीं पहुंची है.

कोसी की बाढ़ और कटान: हर साल गुम हो रहे गांव और रहवासियों के दुखों की अनदेखी

विशेष रिपोर्ट: कोसी योजना को अमल में लाए छह दशक से अधिक समय हो चुका है. सरकारी दस्तावेज़ों में योजना के फ़ायदे गुलाबी हर्फ़ में दर्ज हैं लेकिन बुनियादी सुविधाओं से वंचित कोसीवासियों की पीड़ा बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई के नाम पर लाई गई एक योजना की त्रासदी को सामने लाती है.

मिज़ोरम से विस्थापित ब्रू आदिवासी त्रिपुरा में स्थायी रूप से बसेंगे, समझौते पर हुआ हस्ताक्षर

वर्ष 1997 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान ब्रू समुदाय के तक़रीबन 37 हज़ार लोग मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा के मामित, कोलासिब और लुंगलेई ज़िलों में बस गए थे. इन्हें वापस भेजने के क्रम में पिछले साल केंद्र ने ​त्रिपुरा के ब्रू शरणार्थी शिविरों में दी जाने वाली मुफ्त राशन की व्यवस्था रोक दी थी, जिसके बाद काफी प्रदर्शन ​हुआ था.

मुफ्त राशन की व्यवस्था बहाल करने की मांग पर ब्रू शरणार्थियों ने सड़क जाम रखा

केंद्र सरकार ने बीते एक अक्टूबर को त्रिपुरा के उत्तरी ज़िलों में स्थित छह ब्रू राहत शिविरों में मुफ्त राशन और नकद सहायता रोक दी, क्योंकि शरणार्थियों ने मिज़ोरम वापस लौटने से इनकार कर दिया था. इसके बाद से शरणार्थी उत्तर त्रिपुरा ज़िले में आनंद बाजार से कंचनपुर के बीच सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे हैं.