गुजरात हाईकोर्ट की जस्टिस समीर दवे की एकल पीठ एक नाबालिग रेप सर्वाइवर के पिता की याचिका सुन रही थी, जिसमें उनकी बेटी के गर्भपात के लिए अनुमति मांगी गई थी. इस दौरान जस्टिस दवे ने कहा कि पहले 14 से 16 लड़कियों की शादी की सामान्य उम्र थी और 17 साल तक वे कम से कम एक बच्चे को जन्म दे देती थीं.