सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें एक ज़िला जज के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने पर एक व्यक्ति को दस दिन की क़ैद की सज़ा दी गई थी. शीर्ष अदालत ने याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि मनचाहा आदेश न मिलने का अर्थ यह नहीं है कि न्यायिक अधिकारी को बदनाम करें.