2016 में मोदी सरकार ने नोटबंदी की घोषणा के समय दावा किया था कि इसका एक उद्देश्य जाली मुद्रा पर अंकुश लगाना है. हालांकि जाली करेंसी आज भी चुनौती बनी हुई है. वित्त मंत्रालय ने हाल ही में बताया है कि बीते पांच सालों में 500 रुपये के नकली नोटों में 317% की वृद्धि हुई है.
बैंक पिछले 5 वर्षों में बट्टे खाते में डाले गए ऋणों की 81.30 फीसदी राशि वसूलने में विफल रहे: रिपोर्ट
जब कोई कंपनी जानबूझकर बैंक से लिया गया कर्ज़ नहीं चुकाती है तो उस राशि को बट्टे खाते में डाल दिया जाता है. पिछले पांच वर्षों में बैंकों ने 9.90 लाख करोड़ रुपये की राशि बट्टे खाते में डाली है, जिसमें से केवल 1,85,241 करोड़ रुपये की वसूली हुई है.
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 9.36 प्रतिशत हो गई, जो मई में 8.69 प्रतिशत और एक साल पहले की समान अवधि में 4.55 प्रतिशत थी. शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में खाद्य महंगाई दर में अधिक वृद्धि देखी गई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में दावा किया है कि उनके द्वारा लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना के कारण ही राजनीतिक चंदे के स्रोतों के नाम सामने आए हैं. हालांकि, हक़ीक़त यह है कि मोदी सरकार ने चंदादाताओं के नाम छिपाने के लिए हरसंभव कोशिश की थी.
वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में बताया है कि क़रीब 2,300 लोन लेने वालों ने जानबूझकर लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया, जिनमें से प्रत्येक के पास 5 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज़ है.
जानबूझकर कर्ज़ ने चुकाने के मामले में मार्च 2019 के बाद से प्रति दिन सौ करोड़ रुपये की भारी वृद्धि जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए उस दावे को पूरी तरह खारिज़ करती है, जहां उन्होंने कहा था यूपीए सरकार ने 'घोटालों' से बैंकिंग क्षेत्र को 'बर्बाद' कर दिया और उनकी सरकार ने इसके 'अच्छे वित्तीय स्वास्थ्य' को बहाल किया.
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अपनी किताब में बताया है कि अर्थव्यवस्था की समीक्षा पर हुई एक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपा खोकर पटेल पर भड़क उठे थे, क्योंकि पटेल आरबीआई के संचित रिज़र्व का इस्तेमाल करने के ख़िलाफ़ थे.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में बताया है कि बट्टे खाते में डाले गए कुल 14,56,226 करोड़ रुपये के ऋणों में से बड़े उद्योगों और सेवाओं के बट्टे खाते में डाले गए ऋण 7,40,968 करोड़ रुपये के थे.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बीते 19 मई को 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने की घोषणा की थी. बैंक ने जनता को 30 सितंबर तक का समय दिया है कि या तो नोटों को अपने बैंक खातों में जमा करें या उन्हें बैंकों में बदल दें.
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि 31 मार्च 2023 तक कुल 181 करोड़ 2,000 रुपये के नोट चलन में थे, जो 3.62 लाख करोड़ रुपये होते हैं. इसका अधिकांश हिस्सा काला धन रखने वालों के पास है. बिना आईडी या फॉर्म के नोट बदलने का कहकर मोदी सरकार द्वारा काला धन रखने वालों का शाही स्वागत किया जा रहा है.
भारतीय रिजर्व बैंक के 2,000 रुपये के नोट वापस लेने की घोषणा को काले धन और जमाखोरी पर प्रहार बताने के भाजपा नेताओं के दावे पर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि बैंक में बिना आईडी प्रूफ के उक्त नोट बदले जाने पर जो भी 'काले धन' की जमाखोरी कर रहा है, वह रडार पर आए बिना उन्हें बदल सकता है.
कुछ लोगों ने व्यक्तिगत याचिकाओं के ज़रिये सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उनके पास मौजूद 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बदलने का आदेश दिया जाए. अदालत ने इस पर कहा कि चूंकि वह जनवरी में मामले में फैसला सुना चुकी है, इसलिए अब याचिकाकर्ता केंद्र सरकार के समक्ष अपना अभ्यावेदन पेश करें.
2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के पीछे उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना, जाली नोटों पर लगाम लगाना और काले धन को रोकना था. हालांकि, आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी से पहले चलन में मुद्रा या नोट 17.74 लाख करोड़ रुपये थे, जो 23 दिसंबर 2022 को बढ़कर 32.42 लाख करोड़ रुपये हो गए.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद बताया कि बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया गया है. केंद्रीय बैंक के इस क़दम से ऋण महंगा होगा और क़र्ज़ की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी.
एनएसओ के अनुसार, जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर साल-दर-साल धीमी होकर 4.1% हो गई. यह एक साल में इसकी सबसे धीमी गति है. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.71 प्रतिशत रहा है जो संशोधित बजट अनुमान से कम है.