इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान द्वारा दिया गया अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी धार्मिक मान्यताओं को चुनने, पालन करने की स्वतंत्रता है. हालांकि, इस अधिकार को दूसरों को अपने धर्म में परिवर्तित करने के हक़ के रूप में नहीं देखा जा सकता.
बीते दिनों नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए एक हलफ़नामे में कहा है कि 'धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में अन्य लोगों को किसी विशेष धर्म में परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है.'
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में कहा है कि धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार निश्चित रूप से किसी व्यक्ति को धोखाधड़ी, जबरदस्ती या प्रलोभन के ज़रिये धर्मांतरित करने का अधिकार नहीं देता है. इस तरह की प्रथाओं पर काबू पाने वाले कानून समाज के कमज़ोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक हैं.