हाल ही में लाए गए नए नियमों के तहत केंद्र सरकार को केंद्रीय और राज्य सूचना आयोग के ऊपर नियंत्रण देना यह सुनिश्चित करेगा कि आरटीआई की अपील पर सरकार की मर्ज़ी के मुताबिक काम हो.
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीआईसी ने अनेक आदेशों में स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के आरोपों की जानकारी देने से छूट नहीं मिली है लेकिन सीबीआई में आरटीआई अर्जियों को देखने वाले अधिकारियों के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.
देश का शीर्ष बैंक भारतीय स्टेट बैंक इस अवधि में धोखाधड़ी का सबसे बड़ा शिकार बना क्योंकि कुल धोखाधड़ी की 38 फीसदी धनराशि इसी बैंक से जुड़ी हुई है.
रिजर्व बैंक द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 में 71,542.93 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए. साल 2017-18 में धोखाधड़ी की राशि 41,167.04 करोड़ रुपये थी.
साल 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट के एक दोषी एहतेशाम सिद्दिकी ने आरटीआई एक्ट के तहत भारतीय पुलिस सेवा के 12 अधिकारियों के संघ लोक सेवा आयोग में जमा फार्मों व अन्य रिकॉर्ड की प्रतियां मांगी थी, जिसे गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया था. अब सीआईसी इस पर अंतिम निर्णय लेगा.
सीआईसी ने एक मामले की सुनवाई के दौरान डीओपीटी को कड़ी फटकार लगाते हुए ये टिप्पणी की. आयोग ने कहा, ऐसा करना आरटीआई कानून की भावना का गला घोटने जैसा है.
केरल सरकार ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में राज्य के हितों का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया था. केरल हाईकोर्ट ने इस आदेश को असंतोषजनक और आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करार देते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है.
सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2008-2009 से 2018-19 के बीच में 2.05 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए हैं.
गुजरात के राजकोट ज़िले का मामला. साल 2018 में दलित आरटीआई कार्यकर्ता नानजीभाई सोंडर्वा की हत्या कर दी गई थी. हत्या का एक आरोपी अदालत के रोक लगाने के बाद भी कथित तौर पर राजकोट ज़िले में नज़र आया था. आरटीआई कार्यकर्ता के बेटे ने अदालत में इसकी शिकायत की थी.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने सूचना के अधिकार के तहत बताया है कि पिछले 11 वित्त वर्षों में 2.05 लाख करोड़ रुपये की बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए हैं.
केंद्र और राज्यों में सूचना आयोग स्वतंत्र होने चाहिए. रीढ़विहीन बाबुओं को यह अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि वे आयोग को भी रीढ़विहीन बना दें. लोकसभा चुनाव में उतर रहे राजनीतिक दलों को केंद्रीय सूचना आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत और भारत के प्रधान न्यायाधीश का पद आरटीआई के तहत सार्वजनिक प्राधिकार है या नहीं, इस सवाल पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल द्वारा यह तर्क दिया गया है कि एक न्यायाधीश की नियुक्ति से संबंधित जानकारी व्यक्तिगत होती है, इसलिए आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) के तहत ऐसी जानकारी का खुलासा करने से छूट दी गई है.
यह मामला गौरव दीप गुप्ता नाम के व्यक्ति से जुड़ा है जिन्होंने आरटीआई कानून के तहत गृह मंत्रालय की तरफ से पांच सितंबर 1979 को जारी लुकआउट सर्कुलर को निकालने से जुड़े सर्कुलरों की प्रतियां मांगी थी.
भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार में भारतीय सिनेमा के 106 सालों से अधिक के इतिहास की फिल्में, वीडियो कैसेट्स, डीवीडी, किताबें, पोस्टर, चित्र, प्रेस क्लिपिंग, स्लाइड्स, ऑडियो सीडी, डिस्क रिकॉर्ड आदि शामिल हैं.