लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले एक अंतरधार्मिक जोड़े द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह स्वतंत्रता संविधान द्वारा प्रदत्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से उत्पन्न होती है. अपनी याचिका में मुस्लिम महिला और उसके हिंदू पार्टनर ने उनके परिवार के सदस्यों को उनके शांतिपूर्ण जीवन में हस्तक्षेप न करने का निर्देश देने की मांग की थी.
एक मामले पर सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के लिए कोई भी मामला छोटा नहीं होता. अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं और राहत नहीं देते हैं, तो हम यहां क्या कर रहे हैं. बीते दिनों केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शीर्ष अदालत को ज़मानत और बेतुकी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई न करने का सुझाव दिया था.
गुजरात हाईकोर्ट ने वडोदरा के एक शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया. आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के अपवाद-2 में कहा गया है कि एक पुरुष का अपनी पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना यौन संबंध बनाना ‘बलात्कार’ नहीं है.