पिछले विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दल से चुनाव लड़ने वाले अधिकार कार्यकर्ता प्रणब डोले की नागरिकता को पुलिस ने पासपोर्ट रिन्यूअल प्रक्रिया के तहत अपनी सत्यापन रिपोर्ट में ‘संदिग्ध’ क़रार दिया है. डोले ने दावा किया कि यह उन्हें चुप कराने का हथकंडा है क्योंकि वे अक्सर भाजपा नीत सरकार के ख़िलाफ़ बोलते हैं.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि आयोग सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम यानी आफ़स्पा की वैधता या संवैधानिकता की पड़ताल नहीं कर सकता या इस पर बहस नहीं कर सकता. अधिनियम लागू करने या वापस लेने की आवश्यकता की समीक्षा सरकार करेगी.
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ़स्पा) के ख़िलाफ़ 16 सालों तक भूख हड़ताल करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने कहा कि नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में नागरिकों की मौत की घटना आंख खोलने वाली साबित होनी चाहिए. आफ़स्पा न सिर्फ़ दमनकारी क़ानून है, बल्कि मूलभूत मानवाधिकारों का व्यापक उल्लंघन करने जैसा है.