क्यों नोएडा के अंबेडकर सिटी की लड़कियां शाम छह बजे के बाद घर से बाहर नहीं निकलतीं?

वीडियो: विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र द वायर की टीम उत्तर प्रदेश के नोएडा में अंबेडकर सिटी पहुंची, जहां के निवासियों को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. बिजली भी महंगी दरों पर मिल रही है. इसके अलावा उनकी अन्य समस्याओं पर मुकुल सिंह चौहान की उनसे बातचीत.

भाजपा ने पांच साल तक सिर्फ़ संघ का एजेंडा लागू किया, अब आर-पार की लड़ाई होगी: स्वामी प्रसाद मौर्य

वीडियो: उत्तर प्रदेश में चुनाव की तारीख़ का ऐलान होते ही भाजपा को बड़ा झटका लगा था. कद्दावर ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्रिपरिषद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया. मौर्य भाजपा से समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. मौर्य ने द वायर से अपने इस्तीफे की वजह और आगे की रणनीति के बारे में बात की.

‘यहां दलित रहते हैं, अगर ब्राह्मण, ठाकुर या ऊंची जाति के लोग रहते तो कब का विकास हो गया होता’

वीडियो: विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र ज़मीनी हाल जानने द वायर की टीम उत्तर प्रदेश के आगरा के सिरोली गांव पहुंची थी. यहां सड़क पर जमा हो रहे पानी को हटाने के उपाय करने की मांग को लेकर नागरिक पिछले 100 दिनों से धरने पर बैठे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वे दलित हैं, इसलिए उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है.

क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करके वोट बैंक बनाना चाहती है भाजपा?

वीडियो: जब भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात आती है तो जाटों और मुसलमानों की चर्चा होती है, क्योंकि यहां दोनों की अच्छी ख़ासी आबादी है. दोनों समुदायों को कुल मिलाकर 43 फीसदी वोट है. पश्चिमी यूपी में क्या करेगी भाजपा? क्या अखिलेश का जाट-मुस्लिम फैक्टर चलेगा या भाजपा का 80 बनाम 20 का दांव काम करेगा? बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान.

किसानों ने ठान लिया है कि भाजपा को हराना है: जयंत चौधरी

वीडियो: राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में रोज़गार मांगने पर युवाओं को पीटा गया. दिल्ली की गाज़ीपुर सीमा पर किसानों का अपमान किया गया. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जयंत चौधरी से द वायर की आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह का कोविड-19 संक्रमण से निधन

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह ने भारत लौटने और राजनीति में शामिल होने के लिए कंप्यूटर उद्योग छोड़ दिया था. बागपत से सात बार सांसद रहे अजित सिंह ने 1980 में सक्रिय राजनीति में क़दम रखा और 1986 में राज्यसभा के रास्ते पहली बार संसद पहुंचे थे. ​विभिन्न सरकारों में वह कई मंत्रालय संभाल चुके थे.

पंद्रह क्षेत्रीय दलों ने नहीं दिया आय-व्यय का ब्योरा, बीजद सबसे धनी क्षेत्रीय दल : एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें सर्वाधिक आय वाले क्षेत्रीय दलों में बीजद के अलावा तेलंगाना राष्ट्र समिति और वाईआरएस कांग्रेस शामिल हैं. इन तीनों दलों की आय में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में सर्वाधिक इज़ाफ़ा भी दर्ज किया गया.

भाजपा के पक्ष में आए अप्रत्याशित चुनावी परिणाम आम जनता के गले नही उतर रहे हैं: मायावती

लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद बसपा सुप्रीमो बोलीं- उत्तर प्रदेश में गठबंधन ने जो सीटें जीती हैं वहां भाजपा ने ईवीएम में गड़बड़ी नहीं कराई ताकि जनता को शक न हो.

सीबीआई ने की कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त से पूछताछ की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सबूत दें

सारदा चिटफंड मामले में कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार से हिरासत में पूछताछ का आग्रह करने वाली सीबीआई से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजेंसी यह साबित करे कि उनका अनुरोध न्याय के हित में है न कि राजनीतिक उद्देश्य के लिए.

यूपी: सहारनपुर में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन ने की वोट न बंटने देने की अपील

बसपा प्रमुख मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन की पहली रैली सहारनपुर के देवबंद में की, जहां पहले चरण में 11 अप्रैल को चुनाव होने हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों का गणित, जहां पहले चरण में होना है मतदान

ग्राउंड रिपोर्ट: 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, कैराना, मुज़फ़्फ़रनगर, मेरठ, बागपत, ग़ाज़ियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बिजनौर सीटों पर भाजपा जीती थी. हालांकि, कैराना में हुए उपचुनाव में गठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने रालोद से जीत हासिल की थी. धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया की रिपोर्ट.

क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की हालत ठीक नहीं है?

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में आठ सीटों पर चुनाव होने हैं, इनमें से सात सीटों पर भाजपा का क़ब्ज़ा है. इन सीटों को बचाकर रखना उसके लिए चुनौतीपूर्ण नज़र आ रहा है, क्योंकि सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस प्रत्याशियों की वजह से मुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया है.

निषाद पार्टी का सपा से गठबंधन क्यों टूटा

सबसे बड़ा सवाल यह है कि निषाद पार्टी से सपा का गठबंधन टूटने से पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा? भाजपा से निषाद पार्टी का गठजोड़ न तो निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को पसंद आ रहा है और न भाजपाइयों को.

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