मोतीहारी के आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल की बीते वर्ष सितंबर में हत्या कर दी गई थी. उनके 14 वर्षीय बेटे की शुक्रवार को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. पुलिस इसे दुर्घटना बता रही है, लेकिन परिवार का आरोप है कि पिता की हत्या की जांच में देरी के चलते रोहित ने आत्महत्या की है. अब पुलिस ने पिता के हत्या मामले की जांच सीआईडी को दे दी है.
बीते साल आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने जम्मू कश्मीर पुलिस और उपराज्यपाल के समक्ष दायर आवेदन में कश्मीर पंडितों के ख़िलाफ़ हिंसा, उनके विस्थापन और पुनर्वास संबंधी जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में बताया गया है कि हिंसा या हिंसा की धमकियों के चलते घाटी छोड़कर विस्थापित हुए 1.54 लाख लोगों में से 88 फीसदी हिंदू थे लेकिन 1990 के बाद से हुई हिंसा में मरने वाले लोगों में सर्वाधिक अन्य धर्मों के थे.
मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले के बरही ग्राम पंचायत का मामला. गंभीर रूप से घायल 33 वर्षीय दलित आरटीआई कार्यकर्ता को दिल्ली स्थित एम्स के रिफर कर दिया गया है. पुलिस ने सात आरोपियों की पहचान कर उनके ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास, अपहरण से संबंधित धाराओं तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.
भाजपा ने होशियारपुर के पूर्व सांसद विजय सांपला को फगवाड़ा से टिकट दिया है. सांपला फरवरी 2021 से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष हैं, जिसके चलते उनकी उम्मीदवारी सवालों के घेरे में है. पार्टी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा को भी रूपनगर सीट से उम्मीदवार बनाया है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता आशीष सागर दीक्षित को पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर बना दिया है. उनका आरोप है कि अब उन्हें गिरफ़्तार करने की साज़िश रची जा रही है.
21 दिसंबर को किसान और आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम गोदारा का बाड़मेर से अपहरण किया गया और बेरहमी से पीटने के बाद लगभग मरणासन्न हालत में उनके घर के पास फेंक दिया गया. लगातार आरटीआई एवं अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमले जवाबदेही क़ानून की ज़रूरत को रेखांकित करते हैं.
मधुबनी ज़िले के बेनीपट्टी के रहने वाले 22 वर्षीय पत्रकार बुद्धिनाथ झा नौ नवंबर से लापता थे. शुक्रवार शाम नज़दीक के एक स्टेट हाईवे पर उनका शव मिला. परिजनों का कहना है कि उनकी हत्या के पीछे मेडिकल माफिया का हाथ हो सकता है क्योंकि झा ने कई ग़ैर क़ानूनी क्लीनिक के ख़िलाफ़ शिकायत दायर की थी.
एक आरटीआई के माध्यम से साल 2010 में अमित जेठवा ने गिर वन क्षेत्र में चल रहीं अवैध खनन गतिविधियों में जूनागढ़ से भाजपा के पूर्व सांसद दीनू सोलंकी की संलिप्तता का खुलासा किया था. उन्होंने इस संबंध में गुजरात हाईकोर्ट में विशेष दिवानी आवेदन दाख़िल किया था. 20 जुलाई 2010 को जेठवा की हाईकोर्ट के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले में शुक्रवार को आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की दो अज्ञात व्यक्तियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. अग्रवाल ने ज़िले में कथित रूप से अतिक्रमण की गई सरकारी ज़मीन और संपत्ति का ब्योरा मांगते हुए कई आरटीआई आवेदन दायर किए थे. विपिन अग्रवाल पर इससे पहले साल 2020 में उनके घर पर हमला किया गया था.
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की धारा 4 बी (1) के अनुरूप सीबीआई निदेशक द्वारा उनकी सेवा शर्तों से संबंधित नियमों से कुछ विपरीत होने के बावजूद पद संभालने करने की तारीख से कम से कम दो वर्ष की अवधि के लिए पद पर बने रहने का प्रावधान है.
झारखंड के हज़ारीबाग ज़िले में एक आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार को पुलिस ने अफ़ीम और ब्राउन शुगर रखने के आरोप में गिरफ़्तार करने के बाद उनके इक़बालिया बयान भी ले लिया था. 48 घंटे बाद पुलिस ने कार्यकर्ता को फंसाने की साज़िश के आरोप में पांच लोगों को गिरफ़्तार किया है.
गुजरात के भावनगर ज़िले के सनोदर गांव में बीते दो मार्च को एक दलित आईटीआई कार्यकर्ता की उनके घर में हमला कर कुछ लोगों ने हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने 10 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है. आरोप है कि थाने में मृतक द्वारा की गईं शिकायतों पर पुलिस ने ध्यान नहीं था.
सामाजिक कार्यकर्ता और प्रशासनिक जवाबदेही एवं पारदर्शिता की मुखर समर्थक अंजलि भारद्वाज को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा हाल ही में स्थापित इंटरनेशनल एंटी करप्शन चैंपियंस अवॉर्ड के लिए चुना गया है. उनके अलावा दुनियाभर के 11 अन्य लोगों को यह सम्मान दिया गया है.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में अब तक 36 मामलों में आरटीआई कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न किया गया. 41 अन्य को या तो प्रताड़ित किया गया या नतीजे भुगतने की धमकी दी गई. वहीं, पुख़्ता सबूत होने के बावजूद एक भी मामले में दोषियों को सज़ा नहीं हुई.
हाईकोर्ट की यह टिप्पणी आरटीआई एक्ट के उस प्रावधान के बिल्कुल विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि सूचना मांगने के लिए आवेदक को कोई कारण बताने की ज़रूरत नहीं है.