विदेश मंत्रालय की ओर से दो लापता व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को भेजे गए पत्र के अनुसार, क़रीब पच्चीस भारतीय जिन्हें धोखाधड़ी से रूसी सेना में भर्ती किया गया था और जबरन रूस-यूक्रेन सीमा पर युद्ध क्षेत्र में भेजा गया था, वे अब भी लापता बताए जा रहे हैं.
रूस की एक निजी सेना में काम करने को मजबूर किए गए चार भारतीय नागरिक, जिनमें से एक तेलंगाना और तीन कर्नाटक के हैं, शुक्रवार को भारत लौट आए. उनके अनुसार, कम से कम 60 भारतीय युवाओं को उनकी तरह नौकरी का झांसा देकर रूसी सेना में शामिल किया गया था, जो अब भी वही हैं.
मृतक की पहचान गुजरात के सूरत शहर निवासी हेमिल अश्विनभाई मंगुकिया के रूप में हुई है. वह दिसंबर 2023 से रूस में थे. 100 से अधिक भारतीय नागरिकों को रूसी सेना द्वारा सुरक्षा सहायकों के रूप में भर्ती किया गया है. उनमें से कुछ को रूसी सेना की तरफ़ से लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि ऐसा कहा गया था कि उन्हें युद्ध क्षेत्र में नहीं भेजा जाएगा.