2018 में सुप्रीम कोर्ट ने केरल के प्राचीन सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष के आयु समूह की महिलाओं के प्रवेश न करने की परंपरा के ख़िलाफ़ उन्हें प्रवेश की अनुमति दी थी. प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि अगर वे सत्ता में आए तो मंदिर की परंपरा की रक्षा के लिए क़ानून बनेगा और इसके उल्लंघन पर दो साल की सज़ा होगी.
अखिल भारत हिंदू महासभा की केरल इकाई ने मस्जिदों में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने की याचिका दायर की थी. शीर्ष अदालत ने इसे सस्ता प्रचार पाने का माध्यम कहते हुए ख़ारिज किया और कहा कि मुस्लिम महिलाओं को ही इसे चुनौती देने दीजिए.
सोमवार शाम को मंदिर खोला जाएगा. विश्व हिंदू परिषद और हिंदू ऐक्यावेदी जैसे कई हिंदूवादी संगठनों ने संयुक्त रुप से मीडिया संपादकों को लिखे पत्र में कहा कि महिला पत्रकारों की वजह से विरोध प्रदर्शन और भड़क सकता है.
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर त्रावनकोर देवाश्म बोर्ड के अध्यक्ष प्रयार गोपालकृष्णन ने महिलाओं को लेकर फिर आपत्तिजनक बयान दिया है.