समझौता विस्फोट: असीमानंद सहित चार को बरी किए जाने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती

पाकिस्तान की एक महिला ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दाख़िल की याचिका. फरवरी 2007 में दिल्ली-लाहौर समझौता एक्सप्रेस में हुए विस्फोट के मामले के चारों आरोपियों स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को बीते मार्च महीने में अदालत ने बरी कर दिया था.

जब मुक़दमा चलानेवाले एनआईए जैसे हों, तो बचाव में वकील रखने की क्या ज़रूरत है

समझौता एक्सप्रेस मामले की सुनवाई कर रहे जज ने कहा कि अभियोजन कई गवाहों से पूछताछ और उपयुक्त सबूत पेश करने में नाकाम रहा इसलिए मजबूरन आरोपियों को बरी करना पड़ा. जब एनआईए जैसी शीर्ष जांच एजेंसी एक भयानक आतंकी हमले के हाई-प्रोफाइल मामले में इस तरह बर्ताव करती है, तो देश की जांच और अभियोजन व्यवस्था की क्या साख रह जाती है?

समझौता एक्सप्रेस विस्फोट: अदालत ने कहा, सबूतों के अभाव में गुनहगारों को सजा नहीं मिल पाई

एनआईए अदालत के जज जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा, 'मुझे गहरे दर्द और पीड़ा के साथ फैसले का समापन करना पड़ रहा है क्योंकि विश्वसनीय और स्वीकार्य साक्ष्यों के अभाव की वजह से इस जघन्य अपराध में किसी को गुनहगार नहीं ठहराया जा सका.'

समझौता एक्सप्रेस विस्फोट: असीमानंद समेत सभी आरोपी एनआईए कोर्ट द्वारा बरी

दिल्ली-लाहौर समझौता एक्सप्रेस में फरवरी 2007 को पानीपत के नज़दीक हुए थे दो बम विस्फोट हुए थे. एनआईए के विशेष न्यायाधीश ने एक पाकिस्तानी महिला द्वारा देश के गवाहों से पूछताछ की याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई विचारणीय मुद्दा नहीं है.