यूपी: कूड़े में मिलीं प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की तस्वीरें, सफाईकर्मी बर्ख़ास्त

उत्तर प्रदेश के मथुरा ज़िले की घटना. एक सफाईकर्मी कथित तौर पर अपनी कचरा गाड़ी में कूड़ा समेटकर ले जा रहा था. सफाईकर्मी का कहना है कि उन्होंने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए कूड़ा इकट्ठा कर ट्रॉली में डाला था. कूड़े के साथ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की तस्वीरें भी आ गईं तो इसमें उनकी क्या ग़लती है.

उत्तर प्रदेश: सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय तीन कर्मचारियों की मौत, दो की हालत गंभीर

मामला उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले का है. पिलखुवा थाना क्षेत्र के टैक्सटाइल सिटी में स्थित जीएस दास कैमिकल फैक्ट्री में शुक्रवार दोपहर सेप्टिक टैंक की सफाई करने के लिए एक कर्मचारी उतरा था, जबकि बाकी चार उसे बचाने के लिए टैंक में उतरे थे.

‘मोदीजी के पैर धोने से कोई पवित्र नहीं हो गया, चार महीने से हमें वेतन नहीं मिला है’

वीडियो: बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इलाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान कुछ सफाईकर्मियों के पैर धोए थे. उन सफाई कर्मचारियों से बातचीत.

वाराणसी: सीवर में उतरे दो सफाई कर्मचारियों की मौत

उत्तर प्रदेश के वाराणसी कैंट इलाके में सीवर पाइपलाइन की सफाई के लिए बिना किसी सुरक्षा उपकरण के 40 फीट गहरे मेनहोल में उतरे थे सफाई कर्मचारी. शव मिलने के बाद मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने एंबुलेंस पर पथराव किया.

‘सफाई कर्मचारियों के पैर धोने की ज़रूरत नहीं, उनके पैर कीचड़ से निकालने की ज़रूरत’

सीवर में होने वाली मौतों के ख़िलाफ़ सफाई कर्मचारियों के संगठन ने नई दिल्ली के जंतर मंतर पर किया प्रदर्शन. संगठन ने कहा कि सफाई कर्मचारी का बच्चा सफाई कर्मचारी न बने, उसके लिए सरकार को प्रयास करने की ज़रूरत है.

क्या संविधान ने हमें सम्मान से जीने के लिए पांव धोने की व्यवस्था दी है?

क्या किसी बेरोज़गार के घर समोसा खा लेने से बेरोज़गारों का सम्मान हो सकता है? उन्हें नौकरी चाहिए या प्रधानमंत्री के साथ समोसा खाने का मौक़ा? अगर पांव धोना ही सम्मान है तो फिर संविधान में संशोधन कर पांव धोने और धुलवाने का अधिकार जोड़ दिया जाना चाहिए.

स्वच्छता अभियान के नारों के बीच महिला सफाईकर्मियों का जीवन

घर हो या दफ्तर, एक दिन सफाई कर्मचारी के न आने से होने वाली अव्यवस्था और परेशानी को नकारा नहीं जा सकता. बावजूद इसके सफाई कर्मचारियों को उनके काम के अनुसार महत्व और सुविधाएं नहीं मिलतीं. हालत यह है कि स्वच्छता के काम में लगी महिला सफाईकर्मियों को अपने घर में शौचालय तक नसीब नहीं हैं.

दिल्ली नगर निगम के सफाईकर्मियों के वेतन के लिए पैसे नहीं दे सकते: केंद्र सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि वेतन के नियमित भुगतान को लेकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं और इस संकट के समाधान के लिए केंद्र कोई भी भुगतान करने के लिए तैयार नहीं है.