राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल ने भारतीय इस्लामी सांस्कृतिक केंद्र के एक कार्यक्रम में कहा कि हिंदू धर्म और इस्लाम की गहरी आध्यात्मिक सामग्री लोगों को एक साथ लाती है और एक-दूसरे के प्रति सामाजिक और बौद्धिक समझ लाने में मदद करती है.
पिछले सम्मेलनों को धता बताते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सम्मेलन में आने वाले प्रतिनिधियों के नाम और उनके पदों को गुप्त रखा है. चीन, सऊदी अरब और तुर्की बैठक में शामिल नहीं हुए. मिस्र और ओमान ने भी हिस्सा नहीं लिया.
विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि संयुक्त अरब अमीरात में सर्वाधिक 1,926 भारतीय क़ैदी हैं. इसके बाद सऊदी अरब में 1,362 और नेपाल में 1,222 क़ैदी हैं. मुरलीधरन ने कहा कि भारत ने 31 देशों के साथ सज़ायाफ़्ता क़ैदियों के स्थानांतरण पर समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.
पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या पर सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सुल्तान को छूट दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख उप-प्रवक्ता ने 18 नवंबर को कहा था कि यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने ऐसा किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित यह पूर्व में कई राष्ट्राध्यक्षों के लिए लागू किया गया है.
कच्चे तेल की आपूर्ति पर नज़र रखने वाली संस्था ‘वोर्टेक्सा’ के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर के दौरान रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की आपूर्ति की है. यह उसके द्वारा भारत को कच्चे तेल की अब तक की सर्वाधिक आपूर्ति है.
सऊदी अरब के आधुनिक इतिहास में एक ही दिन सामूहिक रूप से सबसे ज्यादा लोगों को मृत्युदंड दिए जाने का यह पहला मामला है. इससे पहले जनवरी 1980 में मक्का की बड़ी मस्जिद से संबंधित बंधक प्रकरण के दोषी ठहराए गए 63 चरमपंथियों को मृत्युदंड दिया गया था. मानवाधिकार संगठनों ने मृत्युदंड देने के लिए सऊदी अरब की आलोचना की है.
सऊदी अरब की एक महिला अधिकार कार्यकर्ता लुज़ैन अल-हथलूल ने इस संबंध में एक अमेरिकी अदालत में मुक़दमा दायर किया है. उनका आरोप है कि उनके फोन की हैकिंग ने उनकी गिरफ़्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके बाद उन्हें जेल और प्रताड़ना का सामना करना पड़ा था. लुज़ैन को सऊदी अरब में महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार दिलाने के अभियान में योगदान देने के लिए जाना जाता है.
पत्रकार जमाल ख़शोगी की दो अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी. वह अमेरिका के वैध स्थायी निवासी थे और ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ अखबार में लेख लिखते थे और क्राउन प्रिंस की नीतिओं के कटु आलोचक थे.
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर सऊदी अरब सरकार के फैसले का सम्मान करते हुए और लोगों के स्वास्थ्य और सलामती को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है कि भारत से हज के लिए मुसलमानों को सऊदी अरब नहीं भेजा जाएगा.
साल 2018 में पत्रकार जमाल ख़शोगी की इस्तांबुल स्थित सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी. मामले में वली अहद शहजादा मोहम्मद बिन सलमान की भूमिका को लेकर भी सवाल उठे थे.
कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के कारण कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के साथ मक्का और मदीना की यात्रा भी बंद है. इससे राजशाही को राजस्व का नुकसान हो रहा है. वहां के नागरिकों को 2018 से शुरू हुआ निर्वाह व्यय भत्ता भी नहीं मिलेगा.
सउदी अरब की अदालतों द्वारा दी जाने वाली कोड़े मारने की सज़ा का पूरी दुनिया के मानवाधिकार समूह लंबे समय से विरोध करते रहे हैं.
अक्टूबर 2018 में द वॉशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार जमाल ख़शोगी की तुर्की स्थित सऊदी अरब के वाणिज्यिक दूतावास में हत्या कर दी गई थी. इस मामले में 11 आरोपियों में से पांच को फांसी और तीन को 24 साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के पूर्व शीर्ष सलाहकार सहित तीन आरोपियों को दोषमुक्त क़रार दिया गया है.
तुर्की की ओर से कहा गया है कि जमाल ख़शोगी हत्याकांड के प्रति आंखें मूंदना चाह रहे हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. जमाल ख़शोगी की बीते दो अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल शहर स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी.
बीते दो अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में दाख़िल होने के बाद से जमाल ख़शोगी लापता हो गए थे. दूतावास में ही उनकी हत्या कर दी गई थी. द वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह तय है कि सऊदी अरब के शहज़ादे के बिना जानकारी या संलिप्तता के यह नहीं हुआ.