गांधी के विचार उनकी मृत्यु के बाद भी संघ की कट्टरता की विचारधारा के आड़े आते रहे, इसलिए अपने पहले कार्यकाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी के सारे मूल्यों को ताक में रखकर उनके चश्मे को स्वच्छता अभियान का प्रतीक बनाकर उन्हें स्वच्छता तक सीमित करने का अभियान शुरू कर दिया था.
क्या ऐसा शख़्स, जिसने अंग्रेज़ सरकार के पास माफ़ीनामे भेजे, जिन्ना से पहले धर्म के आधार पर राष्ट्र बांटने की बात कही, भारत छोड़ो आंदोलन के समय ब्रिटिश सेना में हिंदू युवाओं की भर्ती का अभियान चलाया, भारतीयों के दमन में अंग्रेज़ों का साथ दिया और देश की आज़ादी के अगुआ महात्मा गांधी की हत्या की साज़िश का सूत्रसंचालन किया, वह किसी भी मायने में भारत रत्न का हक़दार होना चाहिए?
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने सावरकर की याद में डाक टिकट जारी किया था.
आज राष्ट्र को वास्तविक पिता की ज़रूरत है, मेरे जैसे सिर्फ नाम के पिता से काम नहीं चलने वाला है. आज बड़े-बड़े फ़ैसले हो रहे हैं. छप्पन इंच की छाती दिखानी पड़ रही है. ऐसा पिता जो पब्लिक को कभी थप्पड़ दिखाए तो कभी लॉलीपॉप, पर अपने तय किए रास्ते पर ही राष्ट्र को ठेलता जाए. मैं ऐसे राष्ट्रपिता की ज़रूरत कैसे पूरी कर सकता हूं?
वीडियो: भारत के राजनीतिक परिदृश्य में एक किताब के माध्यम से महात्मा गांधी और विनायक दामोदर सावरकर पर चर्चा कर रहे हैं प्रो. अपूर्वानंद.
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने इससे पहले भी सावरकर की जीवनी में बदलाव किया था और उन्हें वीर की जगह अंग्रेजों से माफी मांगने वाला बताया गया था.
2006 मालेगांव धमाका मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा चार आरोपियों को ज़मानत दिए जाने समेत दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरें.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह दोतासरा ने कहा कि नोटबंदी सबसे असफल प्रयोग था. नोटबंदी के लिए प्रधानमंत्री ने जिन तीन उद्देश्यों- आतंकवाद, भ्रष्टाचार को खत्म करने और कालाधन को वापस लाने, का उल्लेख किया था, उन्हें हासिल नहीं किया जा सका.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला बना दिया था, आरएसएस के राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए थे. राजनीतिक हितों के लिए सावरकर की बढ़िया छवि गढ़ी गई थी.
दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा एमए के पाठ्यक्रम से दलित लेखक और चिंतक कांचा इलैया शेपहर्ड की किताब हटाने के प्रस्ताव पर उनका कहना है कि विश्वविद्यालय अलग-अलग विचारों को पढ़ाने, उन पर चर्चा करने के लिए होते हैं, वहां सौ तरह के विचारों पर बात होनी चाहिए. विश्वविद्यालय कोई धार्मिक संस्थान नहीं हैं, जहां एक ही तरह के धार्मिक विचार पढ़ाए जाएं.
सावरकर ने अंग्रेज़ों को सौंपे अपने माफ़ीनामे में लिखा था, ‘अगर सरकार अपनी असीम भलमनसाहत और दयालुता में मुझे रिहा करती है, मैं यक़ीन दिलाता हूं कि मैं संविधानवादी विकास का सबसे कट्टर समर्थक रहूंगा और अंग्रेज़ी सरकार के प्रति वफ़ादार रहूंगा.’
आरएसएस अगर आज़ादी की लड़ाई के बारे में बात करे तो वो क्या बताएगा? अगर वो सावरकर के बारे में बताएगा तो अंग्रेजों को लिखे गए सावरकर के माफ़ीनामे सामने आ जाते हैं.