बिहार: पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण कोटा बढ़ाने वाले संशोधित क़ानून को ख़ारिज किया

बिहार सरकार द्वारा पिछले साल जाति जनगणना के बाद संशोधित आरक्षण अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण सीमा 50%से बढ़ाकर 65% की गई थी. अदालत ने इसे संविधान में दिए समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया है.

मध्य प्रदेश में पीएम आवास योजना के तहत अपात्रों को पैसा दिया, एससी/एसटी को कम प्राथमिकता: कैग

मध्य प्रदेश विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 1,500 से अधिक अपात्र लाभार्थियों को योजना के तहत धनराशि जारी कर दी गई और एसटी/एससी और अधिक वंचित लाभार्थियों को प्राथमिकता देने के बजाय अन्य लोगों को तरजीह दी गई थी. वाहन वाले परिवारों के लिए यह सुविधा नहीं है, लेकिन ऐसे लोगों को लाभ दिए गए, जिनके पास वाहन थे.

देश में दलितों के ख़िलाफ़ क्यों बढ़ रहे हैं अत्याचार?

वीडियो: बीते कुछ महीनों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से दलित समुदाय के लोगों पर अत्याचार के दिल दहलाने वाले मामले सामने आए हैं. हालांकि, इन मामलों को लेकर हुई कार्रवाई घटनाओं की बढ़ती संख्या की तुलना में कहीं पीछे है. इस बारे में वंचित बहुजन अघाड़ी से जुड़े प्रियदर्शी तेलांग से बातचीत.

उच्च शिक्षा में मुस्लिम छात्रों का नामांकन एससी-एसटी से कम, यूपी में सबसे ख़राब स्थिति: रिपोर्ट

ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन से पता चला है कि उच्च शिक्षा में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा. यहां 36 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं केरल में 43 प्रतिशत मुसलमानों ने उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराया है.

ओबीसी को रिझा रही भाजपा के राज में अखिल भारतीय सेवाओं में वर्ग का प्रतिनिधित्व कम रहा

मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में दिए गए आंकड़े बताते हैं कि पिछले 2018 और 2022 के बीच आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा में की गई कुल 4,365 नियुक्तियों में ओबीसी से 695, एससी से 334 और एसटी समुदायों से 166 उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया है.

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लगभग 4,000 आरक्षित पद ख़ाली: केंद्र

डीयू और बीएचयू में क्रमश: 299 और 228 एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर आरक्षित श्रेणियों के लिए सबसे अधिक रिक्तियां हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, विश्व भारती विश्वविद्यालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय जैसे अन्य विश्वविद्यालयों में प्रत्येक में 200 से अधिक पद ख़ाली हैं.

यूपी की जेलों में 75% से ज़्यादा क़ैदी अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी से हैं: सरकार

गृह मंत्रालय ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि 2021 तक उत्तर प्रदेश में 90,606 विचाराधीन क़ैदी थे, जिनमें से 21,942 अनुसूचित जाति, 4,657 अनुसूचित जनजाति और 41,678 ओबीसी वर्ग के थे. एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्रालय ने यह भी बताया कि सज़ा पूरी होने के बाद जुर्माना राशि का भुगतान न करने के कारण 1,410 अपराधी देश की जेलों में बंद हैं.

केंद्र में सचिव-संयुक्त सचिव के पदों पर एससी-एसटी का प्रतिनिधित्व क्रमश: 4 और 4.9 फीसदी: सरकार

राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में वर्तमान में संयुक्त सचिव और सचिव का पद रखने वाले 322 अधिकारी हैं, जिनमें अनुसूचित जाति के 16, अनुसूचित जनजाति के 13, अन्य पिछड़ा वर्ग के 39 और सामान्य श्रेणी के 254 कर्मचारी हैं.

ईडब्ल्यूएस आरक्षण: जिन लोगों को ‘वो’ साथ बैठाना नहीं चाहते, उनसे दाख़िलों, नौकरी में बराबरी क्यों

प्रतिभा के कारण अवसर मिलते हैं. यह वाक्य ग़लत है. यह कहना सही है कि अवसर मिलने से प्रतिभा उभरती है. सदियों से जिन्होंने सारे अवसर अपने लिए सुरक्षित रखे, अपनी प्रतिभा को नैसर्गिक मानने लगे हैं. वे नई-नई तिकड़में ईजाद करते हैं कि जनतंत्र के चलते जो उनसे कुछ अवसर ले लिए गए, वापस उनके पास चले जाएं.

ईडब्ल्यूएस आरक्षण निर्णय बराबरी के सिद्धांत पर वार है और भेदभाव को संवैधानिक मान्यता देता है

संविधान की मूल संरचना का आधार समानता है. आज तक जितने संवैधानिक संशोधन किए गए हैं, वे समाज में किसी न किसी कारण से व्याप्त असमानता और विभेद को दूर करने वाले हैं. पहली बार ऐसा संशोधन लाया गया है जो पहले से असमानता के शिकार लोगों को किसी राजकीय योजना से बाहर रखता है.

उत्तर प्रदेश: 18 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की अधिसूचना रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की श्रेणी में शामिल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2016 और 2019 में जारी अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली याचिका को स्‍वीकार करते हुए उन्हें रद्द कर दिया. याचिका डॉ. बीआर आंबेडकर ग्रंथालय एवं जन कल्याण, गोरखपुर और अन्य ने दायर की थी.  

आज़ादी के 75 सालों बाद भी देश की दलित-बहुजन आबादी की सभी उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं

भारत और यहां रहने वाले सभी जातियों, समुदायों के नागरिकों का भविष्य अब संविधान के इसके वर्तमान स्वरूप में बचे रहने पर निर्भर करता है.

देश में 2016 से 2020 के बीच सांप्रदायिक दंगों के 3,400 मामले दर्ज हुए: केंद्र

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एनसीआरबी डेटा के हवाले से बताया कि 2020 में सांप्रदायिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए. एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्र ने बताया कि 2018 से 2020 के बीच देश में एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत 1,61,117 मामले दर्ज किए गए.

राष्ट्रीय ओवरसीज़ छात्रवृत्ति: वंचित तबके के छात्रों को विदेश में क्यों नहीं पढ़ने देना चाहती सरकार

केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति और भूमिहीन कृषि श्रमिक परिवारों से आने वाले छात्रों को विदेश में पढ़ने के लिए दी जाने वाली राष्ट्रीय ओवरसीज़ छात्रवृत्ति योजना में बिना किसी से सलाह-मशविरे और उससे लाभांवित तबकों की राय जाने बिना किए गए विषय संबंधी बदलाव बहुसंख्यकवादी असुरक्षा का नतीजा हैं.

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