अनुसूचित जाति के लोगों के साथ राजनीतिक दल ‘ग़ुलामों’ की तरह व्यवहार करते हैं: भाजपा विधायक

राजस्थान के भीड़वाड़ा ज़िले में एक कार्यक्रम के दौरान भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने कहा कि यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि आज की राजनीति में अनुसूचित जाति के सदस्यों को खुलकर बोलने की आज़ादी नहीं है. अगर वे खुलकर बोलते हैं तो उनका टिकट कट जाता है.

शीर्ष पांच आईआईटी में 98 फीसदी फैकल्टी कथित उच्च जातियों से: रिपोर्ट

विज्ञान की एक प्रमुख पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि भारत में आईआईटी-आईआईएस समेत विज्ञान क्षेत्र के प्रतिष्ठित संस्थानों में फैकल्टी पदों को भरने के लिए आरक्षण नियमों का पालन नहीं हो रहा है. वहीं, इन संस्थानों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में भी दलित और आदिवासी छात्रों का प्रतिनिधित्व कम है.

एससी-एसटी क़ानून सही अर्थों में लागू होने तक जाति आधारित भेदभाव से मुक्ति नहीं मिल सकती: कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज एक प्राथमिकी को शिकायतकर्ता और आरोपियों के बीच हुए समझौते के आधार पर रद्द करने से इनकार कर दिया और कहा कि जब तक इस क़ानून को इसकी वास्तविक भावना में लागू नहीं किया जाता तब तक जाति आधारित भेदभाव से रहित समाज का सपना दूर की कौड़ी बना रहेगा.

जातिगत जनगणना तर्कसंगत मांग है, बेहतर नीतियां बनाने में मददगार साबित होगा: एनसीबीसी प्रमुख

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना निश्चित तौर पर नीति निर्माताओं को पिछड़े वर्ग के लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने में मददगार साबित होगी. अगर ऐसा हुआ तो सरकार के लिए यह जानना आसान होगा किस जाति के कितने लोग हैं और उनके लिए क्या किया जाना चाहिए.

जाति जनगणना की मांग के बीच आंकड़े दर्शाते हैं कि क़रीब 45 फीसदी परिवार ओबीसी वर्ग के हैं

ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति को लेकर हाल ही में एनएसओ द्वारा जारी किए गए एक सर्वे के मुताबिक़, देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी से हैं.

जातिगत जनगणना राष्ट्रीय हित में है, केंद्र पुनर्विचार करे: नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि इससे विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की प्रगति में मदद मिलेगी. इसकी मांग न केवल बिहार बल्कि कई राज्यों से आ रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जाति के आधार पर जनगणना को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है.

पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

शीर्ष अदालत में केंद्र की दलील ऐसे समय में आई है, जब उसे विपक्षी दलों और यहां तक कि जदयू जैसे उसके सहयोगियों से जातिगत जनगणना की मांग लगातार की जा रही है. बीते 20 जुलाई को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने फैसला किया है कि जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति-वार आबादी की गणना नहीं की जाएगी.

हमारा संविधान: अनुच्छेद 15 (4); पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण और अन्य प्रावधान

वीडियो: संविधान का अनुच्छेद 15 (4) राज्य को यह अधिकार देता है कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष कानून बना पाए. संविधान में पिछड़े वर्गों के आरक्षण के लिए क्या कानून है, इसकी जानकारी दे रही हैं अधिवक्ता अवनि बंसल.