कर्नाटक में कोप्पल जिले के मियापुरा गांव का मामला. अनुसूचित जाति के चेन्नादासर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक व्यक्ति बीते चार सितंबर को अपने दो साल के बेटे के जन्मदिन पर मंदिर गए थे. इस दौरान परिवार मंदिर के बाहर खड़ा था, लेकिन बच्चा मंदिर में चला गया, जिससे मंदिर के पुजारी नाराज़ और अन्य लोग नाराज़ हो गए थे.
मामला सोलापुर ज़िले के मालेवाड़ी गांव का है, जहां बीते 20 अगस्त को एक दलित वृद्ध की मौत के बाद गांव के श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार करने को लेकर ओबीसी माली समुदाय ने विरोध किया था.
मामला इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड की राजस्थान इकाई का है, जहां अनुबंध पर तैनात 25 कर्मचारी जातिगत भेदभाव का आरोप लगाते हुए बीते दो दिनों से हड़ताल पर है. अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले इन कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें शौचालय, कैंटीन और अन्य जगहों का इस्तेमाल नहीं करने दिया जाता.
उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के रौनापार के पलिया गांव में बीते 29 जून को एक व्यक्ति से कुछ लोगों का विवाद हो गया था. इस दौरान वहां पहुंचे पुलिस के जवानों पर भी कथित रूप से हमला किया गया. आरोप है कि उसके बाद मुख्य आरोपी बताए जा रहे ग्राम प्रधान के मकान में तोड़फोड़ की व मकान को पुलिस द्वारा गिरा दिया. भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर ने न्याय की मांग पर 19 जुलाई को आज़मगढ़ जाने की
संस्थान के सहायक प्रोफेसर विपिन पुदियाथ वीतिल ने फैकल्टी सदस्यों को भेजे ईमेल में लिखा है कि ऊंचे पदों पर बैठे लोगों द्वारा उनके साथ भेदभाव किया गया है. उन्होंने इस समस्या का समाधान करने के लिए एक समिति बनाने का सुझाव दिया है.
अहमदाबाद के वीरमगाम तालुका के कराथकल गांव का मामला है. अनुसूचित जाति के सुरेश वाघेला ने शिकायत की है कि लंबी मूंछ रखने के कारण अन्य पिछड़ा वर्ग के 11 लोगों ने उस पर हमला किया और जाति सूचक गालियां दीं.
गुजरात के अरवल्ली ज़िले का मामला है. पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने बारात में शामिल दलित पुरुषों और महिलाओं के परंपरागत साफा पहनने पर आपत्ति जताई थी. राजपूत समुदाय के नौ लोगों के ख़िलाफ़ दंगा, हमला, आपराधिक धमकी देने और एससी/एसटी एक्ट के तहत के तहत मामला दर्ज किया गया है.
उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले की घटना. पुलिस ने बताया कि यह मामला पिछले दो महीनों से चल रहा है. पुलिस कई बार मामले को सुलझा चुकी है और फ़िलहाल मामले की जांच जारी है.
तमिलनाडु में कोयम्बटूर ज़िले के नादुर गांव में पिछले साल दिसंबर में भारी बारिश के कारण 20 फीट ऊंची दीवार गिरने से दलित समुदाय के 17 लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि दलित बस्ती से अपने मकान को अलग रखने के लिए एक व्यक्ति ने यह दीवार बनाई गई थी. इसके दोबारा बनने के बाद इसे अस्पृश्यता की दीवार कहकर आपत्ति जताई गई है.
मामला छतरपुर ज़िले के छापरा गांव का है, जहां दलित समुदाय के एक युवक को उसकी बारात से पहले घोड़े पर बैठकर पूजा के लिए जाने से रोका गया. चार सवर्ण युवकों ने उसे घोड़े से उतारने का प्रयास करते हुए जातिगत टिप्पणियां और मारपीट की. साथ ही, पुलिस से शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी दी.
बीते महीने चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का फैसला एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची, जिस पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है, को कितना कम समझा गया है.
यह घटना रविवार को बनासकांठा जिले के शरीफ्दा गांव की है. पुलिस सुरक्षा के बीच दलित युवक को घोड़ी चढ़ने से रोकने के लिए कथित तौर पर ऊंची जाति के कुछ लोगों ने बारात पर पथराव किया, जिसमें महिलाओं सहित तीन लोग घायल हो गए.
तमिलनाडु के नादुर गांव में दो दिसंबर को दीवार गिरने से 17 लोगों की मौत हो गई थी. उस दीवार को एक व्यक्ति खुद के घर को दलितों से अलग करने के लिए बनाया था. उसके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं होने से दलित समुदाय के लोगों ने यह फैसला लिया है.
गुजरात में अहमदाबाद के साबरमती टोल नाका इलाके का मामला. किसी बात को लेकर दलित समुदाय के युवकों की एक ढाबा मालिक से लड़ाई हो गई थी.
बजट में पीएचडी और इसके बाद के पाठ्यक्रमों के लिए फेलोशिप और छात्रवृत्तियों में 2014-2015 से लगातार कटौती हो रही है. 2019 के बजट में इन पाठ्यक्रमों में एससी छात्रों के लिए यह रकम 602 करोड़ रुपये से घटाकर 283 करोड़ रुपये जबकि एसटी छात्रों के लिए यह रकम 439 करोड़ रुपये से घटाकर 135 करोड़ रुपये कर दी गई है.