कानपुर और गुवाहाटी के आईआईटी में कैंपस प्लेसमेंट के दौरान कुछ कंपनियों ने छात्रों से उनकी जातीय पृष्ठभूमि या संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में प्राप्त रैंक का उल्लेख करने के लिए कहा था. एसटी/एचसी छात्रों ने आशंका जताई है कि इस डेटा का इस्तेमाल प्लेसमेंट प्रक्रिया के दौरान और संभवत: बाद में कार्यस्थल पर उनके साथ भेदभाव करने के लिए किया जा सकता है.
बीते 27 सितंबर को मणिपुर सरकार ने पहाड़ी इलाकों में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (आफस्पा) को छह महीने का विस्तार दे दिया था, जबकि इंफाल घाटी के 19 थानों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. कुकी, ज़ोमी और नगा जनजातियों के शीर्ष निकायों ने इस क़दम को ‘दमनकारी’ और ‘पक्षपातपूर्ण’ क़रार दिया है.
केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने संसद में बताया कि गृह मंत्रालय के तहत विभिन्न संगठनों में 1,14,245 पद ख़ाली हैं और इनमें सीआरपीएफ, बीएसएफ और दिल्ली पुलिस भी शामिल हैं. रिक्त पदों में से 3,075 ग्रुप 'ए', 15,861 ग्रुप 'बी' में और 95,309 ग्रुप 'सी' में हैं.
केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश एक विधेयक में जम्मू कश्मीर के भाषाई अल्पसंख्यक पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की बात की है. इसके विरोध में गुर्जर और बकरवाल समुदाय ने कहा कि सरकार सूबे में एक समुदाय को दूसरे समुदाय के ख़िलाफ़ खड़ा करके ‘मणिपुर जैसे हालात’ पैदा कर रही है.
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में 2021 में अनुसूचित जाति (एससी) समूहों के लोगों के ख़िलाफ़ अपराध दर सबसे अधिक थी. 2021 में देश में अनुसूचित जाति के ख़िलाफ़ अपराध की 50,900 घटनाएं हुईं. मध्य प्रदेश में यह संख्या 7,214 थी.
छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने 29 युवकों की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी है. एसटी/एससी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले इन युवकों ने कथित फ़र्ज़ी जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर सरकारी नौकरियों में भर्ती पर राज्य की निष्क्रियता के ख़िलाफ़ विधानसभा के पास नग्न प्रदर्शन किया था.
चुनाव आयोग ने मसौदा प्रस्ताव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों की संख्या आठ से बढ़ाकर नौ और अनुसूचित जनजाति के लिए 16 से बढ़ाकर 19 करने का सुझाव दिया है. साथ ही, लोकसभा के लिए अनुसूचित जनजातियों के लिए दो और अनुसूचित जातियों के लिए एक सीट आरक्षित करने का सुझाव दिया है.
2021 में होने वाली जनगणना अब तक नहीं हुई मगर उत्तराखंड में धर्म विशेष के लोगों की आबादी बढ़ने के फ़र्ज़ी आंकड़े सरेआम प्रचारित हो रहे हैं. उधर, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट की फटकार की परवाह न करते हुए कभी धर्मांतरण क़ानून, कभी समान नागरिक संहिता, तो कभी 'लैंड जिहाद' के नाम पर सांप्रदायिक तत्वों को हवा दे रही है.
ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन से पता चला है कि उच्च शिक्षा में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा. यहां 36 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं केरल में 43 प्रतिशत मुसलमानों ने उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराया है.
विधानसभा चुनाव से तीन महीने पहले कर्नाटक की पिछली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया था. साथ ही, अनुसूचित जाति के बीच आंतरिक आरक्षण की भी घोषणा की थी.
केंद्र सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति के कल्याण के लिए 'प्रधानमंत्री सामाजिक समावेश मिशन' शुरू करेगी. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि एससी और एसटी के सामने आने वाली समस्याएं समान नहीं हैं और उनके लिए अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है.
छत्तीसगढ़ में आरक्षण का दायरा 76 प्रतिशत तक बढ़ाने वाले दो संशोधन विधेयक राज्यपाल के पास सहमति के लिए लंबित हैं, जिन्होंने अपनी स्वीकृति देने से पहले राज्य की कांग्रेस सरकार से 10-बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा था. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन पर विधेयकों को रोकने और एक वैधानिक निकाय को कमज़ोर करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित विधेयकों के अनुसार, राज्य में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही राज्य में आरक्षण का कुल कोटा 76 प्रतिशत हो गया है.
इस मंज़ूरी के साथ कर्नाटक में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़कर 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए मौजूदा तीन प्रतिशत से बढ़कर सात प्रतिशत हो जाएगा. इस क़दम को राज्य की भाजपा सरकार द्वारा अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले इन समुदायों को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा कि देवदासी प्रथा की शिकार ज़्यादातर महिलाओं का यौन शोषण किया जा रहा है, जब वे गर्भवती हो जाती हैं तो उन्हें उनके भाग्य पर छोड़ दिया जाता है.