गुजरात: ‘प्रेरणा’ बनेगा नरेंद्र मोदी का पहला स्कूल, देशभर के छात्रों को दौरा करवाया जाएगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर वडनगर में उनके पहले स्कूल को 'प्रेरणा: द वर्नाक्युलर स्कूल' के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा देश के हर ज़िले के दो स्कूली छात्रों को ले जाया जाएगा.

वर्ष 2021-22 में कक्षा 10वीं के 35 लाख छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी या फेल हो गए: शिक्षा मंत्रालय

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देश भर के केंद्रीय और राज्य स्कूली शिक्षा बोर्डों के डेटा का विश्लेषण करने पर पाया कि वर्ष 2021-2022 में कक्षा 10वीं के 35 लाख छात्र 11वीं कक्षा में नहीं पहुंचे. इनमें से 85 फीसदी छात्र केवल 11 राज्यों से हैं.

जीव विज्ञान पाठ्यक्रम से एवोल्यूशन को हटाना इस विषय को रटंत विद्या बनाने का रास्ता है

क्रमिक विकास (एवोल्यूशन) जीव विज्ञान की धुरी है और डार्विनवाद इसे समझने की बुनियाद. इन्हें स्कूल के पाठ्यक्रम से निकालना विज्ञान की कक्षा के इकोसिस्टम को बिगाड़ना है.

डार्विन और क्रमागत उन्नति को पढ़ना क्यों ज़रूरी है?

क्रमागत उन्नति का सिद्धांत या थ्योरी ऑफ एवोल्यूशन जीव विज्ञान को देखने का एक अनिवार्य लेंस है. इस विषय को समझने के लिए क्रमागत उन्नति को समझना बेहद ज़रूरी है.

नानकमत्ता फिल्म फेस्टिवल: सिनेमा को स्कूली शिक्षा से जोड़ने का अनूठा प्रयोग

उत्तराखंड के एक छोटे-से क़स्बे नानकमत्ता के एक स्कूल में छात्रों को परंपरागत शिक्षा के साथ-साथ सिनेमा को एक पढ़ाई के ही एक नए माध्यम के रूप में जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

विज्ञान की किताबों से जैविक विकास का सिद्धांत हटाए जाने पर वैज्ञानिकों, शिक्षकों ने चिंता जताई

एनसीईआरटी ने दसवीं की विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से चार्ल्स डार्विन, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति समेत जैविक विकास (एवोल्यूशन) संबंधी सामग्री को हटाया है. इसे वापस सिलेबस में शामिल करने की मांग करते हुए 1,800 से अधिक वैज्ञानिकों और शिक्षकों ने कहा कि वे विज्ञान की स्कूली शिक्षा में किए 'इस तरह के ख़तरनाक बदलावों' से असहमत हैं.

पाठ्यपुस्तकों में बदलाव: ‘संघ स्कूल से ही बच्चों के दिमाग में अपना एजेंडा फिट करना चाहता है’

ऑडियो: एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों में किए गए बदलाव को लेकर वरिष्ठ इतिहासकार मृदुला मुखर्जी ने कहा कि हिंदुत्ववादी सरकार ने विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में ऐसे लोगों को नियुक्त किया है, जो इसकी विचारधारा का एजेंडा आगे बढ़ा सकें.

क्या मोदी सरकार की सांप्रदायिक राजनीति का शिकार हुईं एनसीईआरटी की किताबें?

वीडियो: एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव पर इतिहासकारों से लेकर राजनीतिक वैज्ञानिकों का मानना है कि यह भारत के विचार से उलट भाजपा के विचार के ज़्यादा क़रीब लगता है. इस तरह की काट-छांट से शिक्षा प्रणाली से लेकर लोकतंत्र पर क्या असर पड़ता है?

वेद और पुराण जानने पर छात्रों को क्रेडिट दिए जाएंगे: यूजीसी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क पर अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वेदों और पुराणों सहित भारतीय ज्ञान प्रणाली के विभिन्न पहलुओं में विशेषज्ञता रखने पर छात्रों को क्रेडिट दिया जाएगा. यह कक्षा 5 से पीएचडी स्तर तक सीखने के घंटों के आधार पर सौंपे गए क्रेडिट को कवर करेगा. 

इतिहास को लेकर सांप्रदायिक दृष्टिकोण प्रगतिशील समाज के विचार के विपरीत: हिस्ट्री कांग्रेस

इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस ने एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से मुग़ल इतिहास, महात्मा गांधी से संबंधित सामग्री समेत कई अन्य अंश हटाए जाने को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि जो शिक्षाविद तार्किक वैज्ञानिक ज्ञान का महत्व समझते हैं, उन्हें यह ग़लत और अस्वीकार्य लगेगा.

इतिहास उन्हें क्यों आतंकित करता है?

अमेरिका हो या भारत, पाठ्यपुस्तकों को बैन करने, उन्हें संशोधित करने या उन्हें चुनौती देने की प्रक्रिया स्वतःस्फूर्त नहीं होती. इसके पीछे रूढ़िवादी, संकीर्ण नज़रिया रखने वाले संगठन; समुदाय या आस्था के आधार पर एक दूसरे को दुश्मन साबित करने वाली तंज़ीमें साफ़ दिखती हैं.

250 के क़रीब इतिहासकारों ने एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यपुस्तकों से सामग्री हटाने की आलोचना की

एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से मुग़ल इतिहास, महात्मा गांधी से संबंधित सामग्री समेत कई अन्य अंश हटाए जाने के विरोध में जारी बयान में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने कहा है कि चुनिंदा तरह से सामग्री हटाना शैक्षणिक सरोकारों पर विभाजनकारी राजनीति को तरजीह दिए जाने को दिखाता है.

पाठ्यपुस्तकों से हटाई गई गांधी, आरएसएस संबंधी सामग्री के बारे में न बताना ‘चूक’: एनसीईआरटी

एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से महात्मा गांधी और आरएसएस संबंधी टेक्स्ट हटाए जाने की बात को पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों की आधिकारिक सूची में न रखने की ख़बर सामने आने के बाद एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा है कि ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया. इसका राई का पहाड़ नहीं बनाया जाना चाहिए.

मुग़लों का इतिहास न पढ़ाने के फैसले के पीछे कौन-सी समझदारी है?

मुग़लों का इतिहास तो पढ़ाए न जाने के बावजूद इतिहास ही रहेगा- न बदलेगा, न मिटेगा. लेकिन छात्र उससे वाक़िफ़ नहीं हो पाएंगे और उनका इतिहास ज्ञान अधूरा व कच्चा रह जाएगा.