छात्रा का आरोप है कि फ़रमान में कहा गया है या तो वह स्कार्फ न पहने या फिर किसी मुस्लिम संस्थान में दाख़िला ले ले.
आरोपी छात्र ने कथित तौर पर इस अपराध को अंजाम इसलिए दिया क्योंकि वह चाहता था कि पूर्व निर्धारित पेरेंट्स-टीचर मीटिंग और परीक्षा टल जाए.
30 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. फिलहाल सभी बच्चों की हालत खतरे से बाहर होने की ख़बर.
यह ‘अच्छे स्पर्श’ और ‘बुरे स्पर्श’ की सरलीकृत बायनरी से आगे बढ़ने का वक़्त है. बच्चों के लिए न विशेष अदालतें हैं, न काउंसलिंग के इंतज़ाम हैं, न ही सुरक्षित वातावरण जिसमें वह पल-बढ़ सकें.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह याचिका सिर्फ संबंधित स्कूल तक सीमित नहीं है क्योंकि इसका प्रभाव देशव्यापी है.
बच्चों की सुरक्षा में लापरवाही पर स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी तय होने और संबंद्धता रद्द होने तक के प्रावधान हैं, लेकिन सीबीएसई के दिशानिर्देशों का पालन नहीं हो रहा है.
दिल्ली सरकार ने मनमानी फीस वसूलने का आरोप लगाते हुए उपराज्यपाल अनिल बैजल को भेजा था प्रस्ताव.
हरियाणा में गोठड़ा और राजगढ़ गांव में पिछले महीने तमाम छात्राएं गांव के स्कूल को बारहवीं तक करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठीं. अंतत: सरकार ने उनकी मांग मान ली.
राज्य के करदाना गांव में सरकार ने उन लोगों की पेंशन रोक दी है, जिन्होंने अब तक बैंक में आधार कार्ड नहीं जमा किया है. यह न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मिलने वाले जीने के अधिकार की अवहेलना भी है.
आधार के समर्थन में आई कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि लाखों ‘छात्रों के भूत’ मिड डे मील का लाभ उठा रहे हैं. ये दावे न तो प्रमाणिक हैं, न गंभीर जांच पर आधारित हैं.
मुज़फ्फरनगर के खतौली के एक बालिका विद्यालय में बाथरूम में खून के धब्बे मिलने पर वॉर्डन ने 70 छात्राओं को धमकाया और बिना कपड़ों के क्लास में बैठने को मजबूर किया.
मिड डे मील योजना को आधार कार्ड से जोड़ना पहले से ही कमज़ोर हमारी स्कूली प्रणाली को और धक्का पहुंचा सकती है. सवाल उठता है कि आख़िर सरकार बायोमेट्रिक सत्यापन के ज़रिये किस समस्या का समाधान करना चाह रही है?
शिक्षकों पर यह भी आरोप कि नाबालिग को इतनी अधिक मात्रा में गर्भनिरोधक दवाएं दीं कि उसे कैंसर हो गया है.
मिड डे मील योजना में बच्चों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के केंद्र सरकार के कदम को रोज़ी रोटी अधिकार अभियान नाम के संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है.