अमेरिकी न्याय विभाग और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने गौतम अडानी पर भारत में सौर ऊर्जा अनुबंधों को हासिल करने के लिए 2020 से 2024 के बीच 265 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी के मामले में शामिल होने का आरोप लगाया था. अडानी ने नियमों के पालन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है.
अमेरिकी अभियोग में उद्योगपति गौतम अडानी पर ‘बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी' में संलिप्त होने के आरोप लगाए गए हैं. इस मामले में पहली बार आधिकारिक टिप्पणी करते हुए केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस स्तर पर भारत सरकार के हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है.
अमेरिकी अभियोग में कारोबारी गौतम अडानी पर भारत में सौर ऊर्जा अनुबंधों को हासिल करने के लिए 265 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी मामले में व्यक्तिगत रूप से शामिल होने का आरोप है. अब भारतीय सुप्रीम कोर्ट में इसकी जांच की मांग की है.
उद्योगपति गौतम अडानी पर अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोप लगने के बाद विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अडानी को बचाने का आरोप लगाते हुए सीबीआई और जेपीसी जांच की मांग की है. वहीं, भाजपा ने कांग्रेस को आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की चुनौती दी है.
अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने कहा है कि गौतम अडानी व्यक्तिगत रूप से रिश्वतखोरी के इस षड्यंत्र में शामिल थे जब ‘सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने का वादा किया गया.’ इस अभियोग के बाद अमेरिकी जज ने अडानी के ख़िलाफ़ 'अरेस्ट वॉरंट जारी किया है.'
भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी का प्रभाव बढ़ने के साथ ही उद्योगपति गौतम अडानी के व्यापार का विस्तार पड़ोसी देशों- बांग्लादेश और श्रीलंका में देखने को मिला. हालांकि अब दोनों देशों में सत्ता परिवर्तन के बाद अडानी समूह के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने पिछले महीने कहा था कि इसकी अध्यक्ष माधबी बुच ने 'हितों के टकराव' से जुड़े मामलों से ख़ुद को अलग कर लिया था, लेकिन अब एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि जिन मामलों से उन्होंने ख़ुद को अलग किया था, उनकी जानकारी उपलब्ध नहीं है.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के क़रीब 500 अधिकारियों द्वारा बीते माह वित्त मंत्रालय को लिखे गए एक शिकायती पत्र में कहा गया था कि सेबी की बैठकों में अधिकारियों के ऊपर चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना आम बात हो गई है.
अडानी समूह की कथित गड़बड़ियों का ख़ुलासा करने वाली अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि सेबी का नोटिस भारत में सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने और डराने का प्रयास है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बताती है कि एक एनर्जी परियोजना में संभावित रिश्वतखोरी को लेकर अडानी समूह के साथ इस जांच के दायरे में भारतीय रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी- एज़्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड भी शामिल है.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह पर लगे आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सेबी को बेदाग़ बताया गया है, जबकि समूह पर लगे आरोपों को लेकर सवाल सेबी के नियामक के बतौर कामकाज पर भी हैं.
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ख़ुद को सहारा इंडिया परिवार का मुख्य संरक्षक कहने वाले सुब्रत रॉय का लंबी बीमारी के बाद मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वे 75 वर्ष के थे.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि ‘ताज़ा खुलासे’ से पता चलता है कि ओपल इन्वेस्टमेंट नामक कंपनी, जो अडानी पावर में 8,000 करोड़ रुपये की इक्विटी को नियंत्रित करती है, को मई 2019 में दुबई में एक ‘सिंगल पर्सन फर्म’ के रूप में स्थापित किया गया था. इस खुलासे से अडानी की शेल कंपनियों के ग़ैर-क़ानूनी कार्यों की दुर्गंध और ज़्यादा तेज़ हो गई है.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दायर किया गया, जिसमें अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता अनामिका जायसवाल ने सेबी पर आरोप लगाया है कि उसने अडानी की ओर से स्टॉक मार्केट में हेराफेरी करने से संबंधित राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के 2014 के अलर्ट को छिपाया था.