विधि आयोग ने विवादास्पद राजद्रोह क़ानून को कुछ बदलावों के साथ बरक़रार रखने का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत सज़ा की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर सात साल करने का भी सुझाव दिया गया है. मई 2022 में शीर्ष अदालत ने इस क़ानून पर तब तक रोक लगा दी थी, जब तक सरकार इसकी समीक्षा न कर ले.
मई माह के एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून की समीक्षा किए जाने तक इसके तहत मामले दर्ज करने और कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि सरकार ने पहले ही कह दिया था कि वह क़ानून की समीक्षा कर रही है तो शीर्ष अदालत को आदेश नहीं देना चाहिए था, यह ‘अच्छी बात’ नहीं थी.
पुलिस के अनुसार, वह सभी आरोपियों पर जन सुरक्षा क़ानून (पीएसए) भी लगाने की तैयारी कर रही है. जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज़ अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से बंद थी. हाल ही में पुलिस ने इसकी अनुमति दी है.