समलैंगिकता को अपराध न मानने पर एलजीबीटीक्यू के प्रति भेदभाव भी ख़त्म हो जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ऐसे लोगों के साथ भेदभाव ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डाला है.

समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करने संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में अपने फैसले में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करने संबंधी दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली धारा 377 के ख़िलाफ़ याचिका संविधान पीठ को सौंपी

आईपीसी की धारा 377 कहती है कि जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक यौनाचार करता है तो इस अपराध के लिए उसे उम्रक़ैद की सज़ा होगी.