कभी हाशिये पर रही हिंदुत्व की राजनीति आज मुख्यधारा की राजनीति बन चुकी है. संघ के लिए इससे बड़ी सफलता भला और क्या हो सकती है कि देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां नरम/गरम हिंदुत्व के नाम पर प्रतिस्पर्धा करने लगें.
नरेंद्र मोदी सरकार कई अहम मोर्चों, मसलन रोज़गार और निवेश पर नाकाम रही है. जैसा कि हमने उत्तर प्रदेश और अब गुजरात में देखा, जब बाकी सारी चीज़ें चुक जाती हैं, तब हिंदुत्व काम आता है.
मुल्क की बागडोर संभालते वक्त ‘संविधान को सबसे पवित्र किताब’ कहने वाले तथा अपने आप को ‘आंबेडकर का शिष्य’ घोषित करने वाले प्रधानमंत्री ने भी अनंत कुमार हेगड़े के बयान पर खामोशी बरतना मुनासिब समझा.
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के बयान पर दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर अपूर्वानंद से अमित सिंह की बातचीत.
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के संविधान बदलने को लेकर दिए गए बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माफ़ी पर अड़ा विपक्ष. मोदी सरकार ने संविधान में जताई श्रद्धा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अवसरों पर कहा है कि हम इसी संविधान और संवैधानिक व्यवस्था में विकास करेंगे. ऐसे में उनका कोई मंत्री इससे अलग बात करता है तो उसे मंत्रिमंडल से बाहर कर देना चाहिए.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्रीय रोज़गार और कौशल विकास राज्य मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के बयान की निंदा करते हुए कहा कि उन्होंने संविधान का अपमान किया है.
मैंने आॅनलाइन जगत के एक हिस्से को गुंडा और हत्यारा ज़रूर कहा है. प्रधानमंत्री के लिए कभी ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है.
दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में शिकायत दर्ज की, सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की पत्रकारों ने की निंदा.
कभी-कभी मोमबत्तियां लेकर, मानव श्रृंखला बनाकर खड़ा होने वाला भारत का बौद्धिक वर्ग छोटे-छोटे स्वार्थों, छोटी-छोटी नौकरियों और बड़े-बड़े पैकेजों के चक्कर में अपना दायित्व भूल गया है.
गौरी लंकेश को दफ़नाए जाने को लेकर तरह-तरह की अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं.
गौरी का अख़बार उनके तेज़तर्रार और तर्कवादी पिता की ही तरह धर्मनिरपेक्षता, दलितों, महिलाओं और समाज में पिछड़े लोगों के अधिकारों के प्रति मुखर रहता था.