बीते अक्टूबर में कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि हर किशोर लड़की को 'यौन इच्छाओं पर काबू रखना चाहिए' और 'अपनी देह की शुचिता की रक्षा करनी चाहिए.' सुप्रीम कोर्ट ने इसका स्वतः संज्ञान लिया था और इस पर आंशिक रोक लगाते हुए कहा कि किशोरों के बर्ताव पर हाईकोर्ट की टिप्पणी पूर्णतः अनुचित थी.