स्मृति शेष: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के लीगल सेल के सेक्रेटरी गुलज़ार आज़मी नहीं रहे. आज़मी की देखरेख में ही जमीयत एक सामाजिक-धार्मिक संगठन से क़ानूनी मदद देने वाला संगठन बना, जिसने आतंकवाद से जुड़े मामलों में फंसाए गए लोगों की न्याय तक पहुंच बनाने का काम किया.
अधिवक्ता शाहिद आज़मी की 11 फरवरी 2010 को मुंबई के कुर्ला उपनगर में उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. घटना के समय वह मालेगांव 2006 बम विस्फोट, 7/11 ट्रेन विस्फोट मामले, औरंगाबाद हथियार बरामदगी मामले और घाटकोपर विस्फोट मामले में कई आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.