शंभू बॉर्डर पर फिर तनाव, हरियाणा पुलिस ने किसानों पर दागे आंसू गैस के गोले

शंभु बॉर्डर पर 8 दिसंबर को एक बार फिर हालात तनावपूर्ण हो गए जब हरियाणा पुलिस ने 'दिल्ली चलो' मार्च कर रहे किसानों के जत्थे पर आंसू गैस के गोले छोड़े. किसान एमएसपी की गारंटी समेत अपनी अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों से बातचीत के लिए स्वतंत्र समिति बनाने कहा

किसान संगठनों द्वारा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी समेत कई मांगों को लेकर पंजाब-हरियाणा सीमा स्थित शंभू बॉर्डर पर 6 महीनों से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच विश्वास की कमी है, सरकार को उन तक पहुंचने के लिए कदम उठाने चाहिए.

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हफ्ते भर में शंभू बॉर्डर को खोलने का आदेश दिया

एमएसपी को लेकर धरना दे रहे किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए हरियाणा के शंभू बॉर्डर को बंद किए हुए पांच महीने से अधिक हो चुके हैं. अब हाईकोर्ट ने सरकार को तुरंत बैरिकेड हटाकर रास्ते खोलने का निर्देश देते हुए कहा कि किसानों को हरियाणा पहुंचने से रोका नहीं जा सकता.

किसान आंदोलन: मृतक किसान के परिवार ने मौत के लिए हरियाणा पुलिस को ज़िम्मेदार ठहराया

बीते 21 फरवरी को पंजाब-हरियाणा की खनौरी सीमा पर शुभकरण की मौत हरियाणा पुलिस की कार्रवाई के दौरान हो गई थी. उनकी मौत के कारण किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च को अस्थायी रूप से रोक दिया है. इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनके परिवार को 1 करोड़ रुपये की सहायता और बहन को नौकरी देने की घोषणा की.

हरियाणा पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों के ख़िलाफ़ एनएसए लगाने वाले बयान को वापस लिया

किसानों के आंदोलन को रोकने के दौरान हरियाणा पुलिस की द्वारा की गईं कार्रवाइयों की आलोचना हो रही है, जिसमें राज्य के सीमावर्ती इलाकों में 170 से अधिक किसान घायल हो गए और 22 वर्षीय शुभकरन सिंह की मौत हो गई. पुलिस विरोध कर रहे किसानों के ख़िलाफ़ आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल कर रही है.

किसानों ने केंद्र का प्रस्ताव ‘दिखावा’ बताकर ख़ारिज किया, ‘दिल्ली चलो मार्च’ फिर शुरू होगा

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों को चौथे दौर की वार्ता में केंद्र द्वारा पांच साल के लिए एमएसपी पर पांच फसलें खरीदने का प्रस्ताव दिया गया था, जिस पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि यह अनुबंध खेती का प्रस्ताव था, जो पहले ही विफल हो चुकी है. यह किसानों को स्थायी आय की गारंटी नहीं दे सकती है.

दिल्ली चलो मार्च: शंभू बॉर्डर पर किसानों ने कहा- एमएसपी पर क़ानून बनने तक वापस नहीं लौटेंगे

पंजाब-हरियाणा सीमा स्थित शंभू बैरियर का दृश्य 2020 में दिल्ली की सीमाओं पर हुए किसान आंदोलन की सटीक पुनरावृत्ति है. किसानों ने कहा कि पिछले आंदोलन के समय हमें एमएसपी पर क़ानून बनाने का आश्वासन दिया था, तो केंद्र सरकार क़रीब तीन साल तक क्यों बैठी रही. मोदी सरकार निश्चित रूप से अपने अहंकार के चरम पर है.