निर्मोही अखाड़े के एक वरिष्ठ महंत का कहना है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 'प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पूजा और अनुष्ठानों का पालन करने में 500 साल पुरानी परंपराओं का पालन नहीं किया है. रामलला की अर्चना रामानंदी परंपराओं से की जाती है, लेकिन ट्रस्ट मिली-जुली रीतियां कर रहा है, जो उचित नहीं है.'
शैव-वैष्णव संघर्षों की समाप्ति के लिए गोस्वामी तुलसीदास द्वारा राम की ओर से दी गई ‘सिवद्रोही मम दास कहावा, सो नर सपनेहुं मोंहि न पावा’ की समन्वयकारी व्यवस्था के बावजूद चंपत राय का संन्यासियों, शैवों व शाक्तों के प्रति प्रदर्शित रवैया हिंदू परंपराओं के प्रति उनकी अज्ञानता की बानगी है.
22 जनवरी के कार्यक्रम के लिए अयोध्या न जाने की पुष्टि करने वाले शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए कहा कि आम चुनावों के कारण आयोजन को इतना शानदार बनाया जा रहा है और इसे राजनीतिक शो में तब्दील कर दिया गया है.