हिंदू समाज या कहें संपूर्ण भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां सबको आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है. भले सत्ताधारी इसे अमृतकाल कहें किंतु यह संक्रमण काल है. दुर्बुद्धि और नफ़रत का संक्रमण काल, जहां मर्यादाएं विच्छिन्न हो रहीं हैं.
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नृत्यगोपाल दास को भेजे पत्र में कहा है कि परिसर में रामलला पहले से ही विराजमान हैं, 'तो यह प्रश्न उठता है कि यदि नवीन मूर्ति की स्थापना की जाएगी तो श्रीरामलला विराजमान का क्या होगा?'
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से ख़ुश तबका भी प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को राजनीतिक बताते हुए इस पर सवाल उठा रहा है.
एक हिंदुत्व समर्थक पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चारों शंकराचार्य राजनीतिकरण, उचित सम्मान न मिलने और समयपूर्व किए जा रहे प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर नाराज़ हैं. इसके अनुसार, शंकराचार्यों का कहना है कि राम मंदिर के निर्माण को क्रियान्वित करने के बावजूद सरकार ‘राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू भावनाओं का शोषण कर रही है’.
बसपा प्रमुख का आरोप, भाजपा ने राजनीतिक स्वार्थ में संवैधानिक संस्थाओं और लोकतंत्र को कमज़ोर किया, तानाशाही और मनमानी चल रही है.