अडानी एंटरप्राइजेज़ लिमिटेड ने शेयर बाज़ार को बताया कि भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ने उसके 20,000 करोड़ के एफपीओ में एंकर निवेशक के तौर पर 300 करोड़ रुपये निवेश करके 9,15,748 शेयर ख़रीदे हैं. विपक्ष के नेता धोखाधड़ी के आरोपों के बीच एलआईसी और एसबीआई के अडानी समूह में निवेश पर सवाल उठा चुके हैं.
ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन में सरकार की 60.41 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कंपनी ने बताया कि बिक्री पेशकश के लिए मूल्य 159 रुपये प्रति शेयर रखा गया है. यह मूल्य बीएसई में मंगलवार को कंपनी के शेयर के बंद भाव 171.05 रुपये के मुक़ाबले सात प्रतिशत कम है.
सरकार उम्मीद कर रही है कि भौतिक ओर सामाजिक- दोनों की तरह के बुनियादी ढांचे पर उसके द्वारा किया जाने वाला बड़ा खर्च नई आय पैदा करेगा, जिससे ख़र्च भी बढ़ेगा. पूंजीगत ख़र्चे में इस बढ़ोतरी का लाभ 4-5 साल में दिखेगा, बशर्ते इसका अमल सही हो.
बाज़ार नियामक सेबी ने पूर्ववर्ती रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड की शेयर कारोबार में कथित गड़बड़ी को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज और इसके चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी के साथ-साथ दो अन्य इकाइयों पर 20 करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.
सहारा समूह ने 1998-2009 के वित्तीय वर्षों में निवेशकों से कम से कम 14,106 करोड़ रुपये जुटाए. यह राशि एक करोड़ 98 लाख 39 हज़ार 939 निवेशकों से जुटाई गई. सहारा की दो अन्य कंपनियों की 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि लौटाने का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 44 पैसे गिरकर 73.77 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. बुधवार को रुपया 43 पैसे गिरकर 73.34 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था.
बुधवार सुबह रुपया 73.26 पर खुला था. इसमें गिरावट लगातार जारी रही. डॉलर के मुकाबले 43 पैसे गिरकर 73.34 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया.
बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे गिरकर 72.91 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक न्यूनतम स्तर पर आ गया.
रिज़र्व बैंक ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र पर यह जुर्माना धोखाधड़ी पकड़ने में देरी और समय पर इसके बारे में जानकारी न देने के चलते लगाया है.
गुरुवार दोपहर बाद रुपया बुधवार के बंद की तुलना में 37 पैसे गिर कर प्रति डॉलर 72.12 के नए न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है.
सरकार में हर कोई दूसरा टॉपिक खोजने में लगा है जिस पर बोल सकें ताकि रुपये और पेट्रोल पर बोलने की नौबत न आए. जनता भी चुप है. यह चुप्पी डरी हुई जनता का प्रमाण है.
इससे पहले बीते शुक्रवार को शुरूआती कारोबार में 71 रुपये के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था. हालांकि इसके बाद भी रुपया संभल नहीं सका और उसमें लगातार गिरावट जारी है.
रुपये के भाव में लगातार गिरावट से निर्यातक वैश्विक बाजारों में अपने माल का सही मोल-भाव नहीं कर पा रहे हैं जिससे उन्हें अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.
1999 में एनडीए-1 ने 8% जीडीपी वृद्धि दर के साथ अपनी पारी की शुरुआत की थी, लेकिन बाद के तीन वित्तीय वर्षों के बीच जीडीपी वृद्धि दर में तेज़ गिरावट देखी गई. यही कहानी एनडीए-2 में भी दोहराई जा रही है.
बैंक ने सुस्त वृद्धि दर, नोटबंदी व जीएसटी से उत्पन्न चुनौतियों को ज़िम्मेदार ठहराया. पूर्वानुमान से सेंसेक्स टूटा.