बीते 4 फरवरी को दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी के जामिया नगर हिंसा मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफ़ूरा जरगर और आसिफ़ इक़बाल तनहा सहित 11 लोगों को आरोपमुक्त करते हुए कहा था कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही, इसलिए उसने इन आरोपियों को बलि का बकरा बना दिया.
बीती 4 फरवरी को साकेत ज़िला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने शरजील इमाम, छात्र कार्यकर्ता आसिफ़ इक़बाल तन्हा और सफूरा ज़रगर एवं आठ अन्य को जामिया हिंसा मामले में बरी कर दिया था. न्यायाधीश वर्मा ने पाया था कि पुलिस ने ‘वास्तविक अपराधियों’ को नहीं पकड़ा, लेकिन आरोपियों को ‘बलि का बकरा’ बनाने में कामयाब रही.
जेएनयू के कुलपति के रूप में एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुकीं शांतिश्री डी. पंडित ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय की छवि ‘राष्ट्र विरोधी’ के तौर पर बना दी गई, लेकिन अब जेएनयू अकादमिक नवोन्मेष और अनुसंधान उत्कृष्टता के रूप में लौट आया है.
2019 जामिया हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करने वाले दिल्ली की अदालत के आदेश में कहा गया है कि मामले में पुलिस का तीन पूरक चार्जशीट दायर करना सबसे असामान्य था. इसने पूरक चार्जशीट दाखिल कर 'जांच' की आड़ में उन्हीं पुराने तथ्यों को पेश करने की कोशिश की.
जामिया नगर इलाके में दिसंबर 2019 में हुई हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करते हुए दिल्ली की अदालत ने कहा कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही इसलिए उसने इन आरोपियों को बलि का बकरा बना दिया.
दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को राजद्रोह के उस मामले में ज़मानत दी है, जिसमें उन पर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया में दिए भाषण के ज़रिये दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था. हालांकि, दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों के चलते उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम को दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में वर्ष 2020 में भड़के दंगे के कथित षड्यंत्र के मामले में जनवरी 2020 में गिरफ़्तार किया गया था. तब से वे जेल में हैं.
साल 2020 के दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने अपने आवेदन में आरोप लगाया गया है कि सहायक जेल अधीक्षक ने हाल ही में तलाशी की आड़ में आठ-दस लोगों के साथ उसके सेल में प्रवेश किया, उससे मारपीट की और ‘आतंकवादी’ तथा ‘राष्ट्र-विरोधी’ कहकर संबोधित किया.
न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने इस सप्ताह की शुरुआत में दिए गए चार आदेशों में ज़ी न्यूज़, ज़ी हिंदुस्तान, इंडिया टीवी, आज तक और न्यूज़18 के दिल्ली दंगों, किसान आंदोलन, मुस्लिम आबादी और 'थूक जिहाद' संबंधी प्रसारणों को ग़लत बताते हुए इनके वीडियो हटाने का निर्देश दिया है.
इस साल जनवरी में दिल्ली की एक अदालत ने साल 2019 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम के ख़िलाफ़ राजद्रोह का अभियोग तय किया था. इसी महीने सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून पर विचार होने तक इससे संबंधित सभी कार्यवाहियों पर रोक लगाने का आदेश दिया था.
उमर ख़ालिद की ज़मानत ख़ारिज करने के फ़ैसले में अदालत यह कबूल कर रही है कि बचाव पक्ष के वकील पुलिस के बयान में जो असंगतियां या विसंगतियां दिखा रहे हैं, वह ठीक है. लेकिन फिर वह कहती है कि भले ही असंगति हो, उस पर वह अभी विचार नहीं करेगी. यानी अभियुक्त बिना सज़ा के सज़ा काटने को अभिशप्त है!
जेएनयू के छात्र शरजील इमाम ने 24 जनवरी के निचली अदालत के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उसके ख़िलाफ़ राजद्रोह के तहत आरोप तय किए गए थे. आरोप है कि उन्होंने 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए भाषणों में कथित तौर पर असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से अलग करने की धमकी दी थी.
शरजील इमाम पर आरोप है कि सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के संदर्भ में उन्होंने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए भाषणों में असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से अलग करने की धमकी दी थी.
दिल्ली की एक अदालत ने दिसंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई हिंसा से संबंधित मामले में शरजील इमाम को ज़मानत देते हुए कहा कि अपराध की प्रकृति और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उनका आवेदन को मंज़ूर किया जाता है कि उन्हें जांच के दौरान गिरफ़्तार नहीं किया गया था.
सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों में जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार जेएनयू छात्र शरजील इमाम ने उनकी ज़मानत याचिका खारिज़ करने को चुनौती दी है. उनका कहना है कि उनके सभी सह आरोपियों को इस मामले में ज़मानत मिल चुकी है लेकिन वे अब भी बीते 20 महीने से जेल में हैं.