वर्ष 2020 के दिल्ली दंगों के कथित षड्यंत्र से जुड़े मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कॉलर शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस प्रतिभा सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि मामले को ऐसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए जिसके सदस्य जस्टिस शर्मा न हों.
आईआईटी से स्नातक करने के बाद जेएनयू से पीएचडी कर रहे शरजील इमाम जनवरी 2020 से जेल में हैं. दिल्ली हाईकोर्ट से राजद्रोह के एक मामले में मिली ज़मानत के बावजूद वे जेल में ही रहेंगे क्योंकि उन पर दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में यूएपीए के तहत आरोप लगे हैं.
वीडियो: छात्र कार्यकर्ता उमर ख़ालिद ने दिल्ली दंगों से जुड़ी साज़िश के मामले में बीते 14 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली. सितंबर 2020 को गिरफ़्तार होने के बाद से वह जेल में हैं. इस विषय पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम ने इस आधार पर ज़मानत मांगी है कि वह पिछले चार वर्षों से जेल में हैं और ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यूएपीए की धारा 13 के तहत अपराध के लिए अधिकतम सज़ा सात साल है. वह अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सज़ा की आधी से अधिक काट चुके हैं और प्रावधान के तहत ज़मानत के हक़दार हैं.
आईआईटी से पढ़कर जेएनयू से पीएचडी कर रहे शरजील इमाम जनवरी 2020 से जेल में हैं. उनके भाई का कहना है कि शरजील को नागरिक समाज समूहों और प्रमुख राजनीतिक एक्टिविस्ट से सहयोग नहीं मिला है.
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बीते 4 फरवरी को दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी के जामिया नगर हिंसा मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफ़ूरा जरगर और आसिफ़ इक़बाल तनहा सहित 11 लोगों को आरोपमुक्त करते हुए कहा था कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही, इसलिए उसने इन आरोपियों को बलि का बकरा बना दिया.
बीती 4 फरवरी को साकेत ज़िला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने शरजील इमाम, छात्र कार्यकर्ता आसिफ़ इक़बाल तन्हा और सफूरा ज़रगर एवं आठ अन्य को जामिया हिंसा मामले में बरी कर दिया था. न्यायाधीश वर्मा ने पाया था कि पुलिस ने ‘वास्तविक अपराधियों’ को नहीं पकड़ा, लेकिन आरोपियों को ‘बलि का बकरा’ बनाने में कामयाब रही.
जेएनयू के कुलपति के रूप में एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुकीं शांतिश्री डी. पंडित ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय की छवि ‘राष्ट्र विरोधी’ के तौर पर बना दी गई, लेकिन अब जेएनयू अकादमिक नवोन्मेष और अनुसंधान उत्कृष्टता के रूप में लौट आया है.
2019 जामिया हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करने वाले दिल्ली की अदालत के आदेश में कहा गया है कि मामले में पुलिस का तीन पूरक चार्जशीट दायर करना सबसे असामान्य था. इसने पूरक चार्जशीट दाखिल कर 'जांच' की आड़ में उन्हीं पुराने तथ्यों को पेश करने की कोशिश की.
जामिया नगर इलाके में दिसंबर 2019 में हुई हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करते हुए दिल्ली की अदालत ने कहा कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही इसलिए उसने इन आरोपियों को बलि का बकरा बना दिया.
दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को राजद्रोह के उस मामले में ज़मानत दी है, जिसमें उन पर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया में दिए भाषण के ज़रिये दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था. हालांकि, दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों के चलते उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम को दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में वर्ष 2020 में भड़के दंगे के कथित षड्यंत्र के मामले में जनवरी 2020 में गिरफ़्तार किया गया था. तब से वे जेल में हैं.
साल 2020 के दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने अपने आवेदन में आरोप लगाया गया है कि सहायक जेल अधीक्षक ने हाल ही में तलाशी की आड़ में आठ-दस लोगों के साथ उसके सेल में प्रवेश किया, उससे मारपीट की और ‘आतंकवादी’ तथा ‘राष्ट्र-विरोधी’ कहकर संबोधित किया.
न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने इस सप्ताह की शुरुआत में दिए गए चार आदेशों में ज़ी न्यूज़, ज़ी हिंदुस्तान, इंडिया टीवी, आज तक और न्यूज़18 के दिल्ली दंगों, किसान आंदोलन, मुस्लिम आबादी और 'थूक जिहाद' संबंधी प्रसारणों को ग़लत बताते हुए इनके वीडियो हटाने का निर्देश दिया है.