जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों और नाबालिगों से जुड़े केस लड़ने वाले वकील बाबर क़ादरी ने तीन दिन पहले एक ट्वीट कर पुलिस से उनके ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करने वाले एक फेसबुक उपयोगकर्ता के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने का अनुरोध किया था. उनका कहना था कि इससे उनकी जान को ख़तरा हो सकता है.
जून 2018 में भाजपा ने महबूबा सरकार से गठबंधन तोड़ते समय राज्यपाल शासन लगाने के कारणों में शुजात बुख़ारी की हत्या का ज़िक्र भी किया था. लेकिन, एक साल बाद भी बुख़ारी की हत्या का रहस्य बना हुआ है.
जन गण मन की बात की 268वीं कड़ी में विनोद दुआ कश्मीर और सोशल मीडिया पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ट्रोलिंग पर चर्चा कर रहे हैं.
जम्मू कश्मीर में भाजपा-पीडीपी सरकार में मंत्री रहे चौधरी लाल सिंह ने पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की ओर इशारा करते हुए कहा कि कश्मीरी पत्रकारों को सोचना होगा कि उन्हें कश्मीर में कैसे रहना है.
कश्मीर एडिटर्स गिल्ड के सदस्य ने कहा, संपादकीय लिखने वाले हाथ हमसे छीन लिए गए हैं. ऐसा लग रहा है मानो हमारी स्याही सूख गयी है, इसलिए यह ज़रूरी है कि हम अपना विरोध दर्ज करवाएं.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने शुजात बुखारी की हत्या को आतंकवादी हमला बताया. एक लेफ्टिनेंट जनरल ने दावा किया कि हत्या में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ.
राइज़िंग कश्मीर अख़बार के संपादक शुजात बुख़ारी पर जिस समय हमला हुआ उस वक़्त वह अपने दफ़्तर से इफ़्तार पार्टी के लिए निकल रहे थे. कार पर हुए हमले में उनके दोनों सुरक्षा अधिकारियों की भी मौत हो गई.