महादेवी वर्मा: तू न अपनी छांह को अपने लिए कारा बनाना…

जन्मदिन विशेष: महादेवी वर्मा जीवन भर व्यवस्था और समाज के स्थापित मानदंडों से लगातार संघर्ष करती रहीं और इसी संघर्ष ने उन्हें अपने समय और समाज की मुख्यधारा में सिर झुकाकर भेड़ों की तरह चुपचाप चलने वाली नियति से बचाकर एक मिसाल के रूप में स्थापित कर दिया.