लखीमपुर हिंसा मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व कर रहे डीजीपी उपेंद्र अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पुलिस के सवालों का उचित जवाब नहीं दे रहे थे, इसलिए उन्हें गिरफ़्तार किया गया है. आशीष मिश्रा पर आरोप लगा कि वह उन वाहनों में से एक में सवार थे, जिसने बीते तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहे चार किसानों को कुचल दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में दस महीने से आंदोलन कर रहे किसानों के संगठन ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच और जांच आयोग को ख़ारिज करता है. मोर्चा ने मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने और इसकी निगरानी सीधे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा किए जाने की मांग उठाई.
बेंगलुरु के सत्र न्यायालय ने कहा कि चूंकि आरोपी अलग-अलग जेलों में बंद हैं और उन्हें सुनवाई के दौरान एक साथ पेश नहीं किया जा सका है, जिसके चलते बार-बार आरोप तय करने की कार्यवाही टाली जाती रही है, इसलिए उन्हें एक जगह ट्रांसफर किया जाए.
पुलिस ने बताया कि ठाणे ज़िले में 15 वर्षीय लड़की के एक दोस्त ने बीते जनवरी महीने में उससे बलात्कार किया और घटना का वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल करने लगा. बाद में लड़के के अन्य साथियों ने अलग-अलग स्थानों पर उसके साथ बलात्कार किया. पीड़िता की शिकायत पर 33 आरोपियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है. दो नाबालिग भी हिरासत में हैं.
वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश हत्या के मामले में उनकी बहन कविता लंकेश ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें आरोपी मोहन नायक के ख़िलाफ़ जांच के लिए कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के प्रावधान का इस्तेमाल करने के पुलिस प्राधिकार के 14 अगस्त, 2018 के आदेश को रद्द कर दिया गया था.
सीबीआई ने अदालत में दलील दी कि तर्कशास्त्री डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 2013 में हुई हत्या के मामले में पांच आरोपियों पर ‘लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक’ पैदा करने के लिए यूएपीए के तहत मुक़दमा चलाया जाए.
महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे सुबह की सैर के लिए निकले थे. इस मामले में सीबीआई ने आठ लोगों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें से पांच के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर हो चुकी है.
बीते साल दो जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू निवासी गैंगस्टर विकास दुबे को उसके गांव पकड़ने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था, जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. आयोग की ओर से कहा गया है कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि विकास दुबे को स्थानीय पुलिस, राजस्व और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा संरक्षण दिया गया था. आयोग ने इसमें लिप्त अधिकारियों के ख़िलाफ़ जांच की सिफ़ारिश की है.
पिछले साल दंगों के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें घायल अवस्था में पांच युवक ज़मीन पर पड़े हुए नज़र आते हैं. कम से कम सात पुलिसकर्मी युवकों को घेरकर राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने के अलावा उन्हें लाठियों से पीटते हुए नज़र आते हैं. इनमें से एक युवक की मौत हो गई थी, जिसकी पहचान 23 साल के फ़ैज़ान के रूप में होती है. उनकी मां का कहना था कि पुलिस कस्टडी में बेरहमी से पीटे जाने
वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश हत्या के मामले में उनकी बहन कविता लंकेश ने आरोपियों में से एक मोहन नायक के ख़िलाफ़ कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत लगाए गए आरोपों को ख़ारिज करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
धनबाद के ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद मौत के मामले में सीबीआई की अब तक की जांच पर नाराज़गी जताते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि एजेंसी अपनी जांच पेशेवर तरीके से करे क्योंकि मामला बहुत गंभीर है.
धनबाद के ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की सीलबंद रिपोर्ट में अधिक विवरण शामिल नहीं है. साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हर हफ़्ते सीबीआई जांच की प्रगति देखेंगे.
धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें गैंगस्टर और हाई-प्रोफाइल व्यक्ति को अदालत से उम्मीद के अनुरूप फैसला नहीं मिलता तो वे न्यायपालिका को छवि धूमिल करना शुरू कर देते हैं. न्यायाधीश को शिकायत करने तक की स्वतंत्रता नहीं है, ऐसी स्थिति उत्पन्न की जाती है. जब वे पुलिस या सीबीआई या अन्य से शिकायत करते हैं, तो ये एजेंसियां प्रतिक्रिया नहीं देती
धनबाद के अतिरिक्त ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए उस पर सवाल उठाए हैं. अदालत ने कहा है कि जांच में देरी या किसी तरह की चूक से मामले की सुनवाई पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
धनबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि एक पुलिस अधिकारी को घटना के सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक करने के लिए और दूसरे पुलिस अधिकारी को न्यायाधीश को टक्कर मारने वाले ऑटो की चोरी की प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के लिए निलंबित किया गया है. धनबाद के ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह सैर पर निकले थे, जब एक ऑटो रिक्शा ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी.