कल्पना और कौशल के बिना स्वतंत्रता कहीं भी संभव नहीं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: परम स्वतंत्रता न तो जीवन में संभव है और न ही सृजन में. फिर भी सृजन में ऐसी स्वतंत्रता पा सकना संभव है जो व्यापक जीवन में नहीं मिलती या मिल सकती.