पेगासस प्रभावित पत्रकार कोर्ट पहुंचे, स्पायवेयर के उपयोग पर सरकार का पक्ष रखने की अपील

इज़रायल के एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर से जासूसी के आरोपों के सामने आने के बाद पहली बार इससे प्रभावित लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया है. पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, एसएनएम अब्दी, प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और कार्यकर्ता इप्सा शताक्षी की ओर से ये याचिकाएं दायर की गई हैं. इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और शशि कुमार ने भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी.

सच बाहर लाने के लिए फोन निगरानी से जुड़े पहलुओं की जांच की जानी चाहिए: नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के सहयोगी दलों के ऐसे पहले नेता हैं, जिन्होंने पेगासस प्रोजेक्ट के खुलासों की जांच की मांग की है. द वायर समेत दुनिया के 17 संस्थानों ने बताया था कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से ज़्यादा पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं समेत 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग हुई या वे संभावित निशाने पर थे.

पेगासस प्रोजेक्ट: बिहार के स्वतंत्र पत्रकार संजय श्याम की क्यों हुई जासूसी

वीडियो: पेगासस जासूसी मामले में बिहार के स्वतंत्र पत्रकार संजय श्याम का नाम भी शामिल है. इस विषय पर द वायर ने उनसे बातचीत की.

नॉर्थ ईस्ट डायरी: जासूसी की संभावित सूची में पूर्वोत्तर के नेताओं के नाम के क्या मायने हैं

वीडियो: इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में पेगासस प्रोजेक्ट के अंतर्गत सामने आई संभावित सर्विलांस की लिस्ट में असम और नगालैंड के नेता तथा मणिपुर के लेखक का नंबर मिलने और असम-मिज़ोरम सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.

आप जासूस कमाल के हैं, राजा कैसे बन गए

युवाओं की टीम ने जनता का हाल जानने के लिए राजा को कई सारा आइडिया दिया, मगर सब ख़ारिज हो गए. राजा को रात में निकलना पसंद नहीं आ रहा था. राजा ने समझाया कि इस शहर के चप्पे-चप्पे पर उसकी तस्वीर लगी है. इसलिए बाहर निकलते ही पहचाने जाने का ख़तरा है. तभी एक सदस्य ने कहा कि फोन की जासूसी करते हैं.

पेगासस: यह आम सर्विलांस नहीं, जेब में जासूस लेकर चलने से भी आगे की बात है

टेक्नोलॉजी को वापस नहीं लिया जा सकता. लेकिन इसे मुक्त बाज़ार में अनियंत्रित, क़ानूनी उद्योग के रूप में काम करने की इजाज़त देने की ज़रूरत नहीं है. इस पर क़ानून की लगाम होनी चाहिए. तकनीक रह सकती है, लेकिन उद्योग का रहना ज़रूरी नहीं है.

मोदी सरकार पेगासस जासूसी के दुष्प्रभावों को कब तक नज़रअंदाज़ कर सकती है?

पत्रकारिता संस्थान अपने संसाधनों के चलते सीमित होते है, इसलिए राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर केवल वास्तविक जांच से ही पेगासस के उपयोग की सही स्तर का पता चलेगा.

500 से अधिक कार्यकर्ताओं, वकीलों ने सीजेआई को पत्र लिखा- केंद्र से पूछें पेगासस खरीदा या नहीं

द वायर सहित एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने सिलसिलेवार रिपोर्ट्स में बताया है कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से ज़्यादा पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं समेत 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग हुई या वे संभावित निशाने पर थे.

पेगासस प्रोजेक्ट: डीएनए के पूर्व पत्रकार दीपक गिडवानी की क्यों हुई जासूसी?

वीडियो: डीएनए के पूर्व विशेष संवाददाता और स्वतंत्र पत्रकार दीपक गिडवानी का फ़ोन नंबर पेगासस की जासूसी वाली संभावित सूची में शामिल है. इस मुद्दे पर दीपक गिडवानी से द वायर की बातचीत.

पेगासस प्रोजेक्ट: पंजाबी अख़बार ‘रोज़ाना पहरेदार’ के एडिटर की क्यों हुई जासूसी

वीडियो: पेगासस जासूसी मामले में पंजाबी भाषी अख़बार ‘रोज़ाना पहरेदार’ के एडिटर-इन-चीफ जसपाल सिंह हेरां का नाम भी शामिल है. जसपाल सिंह से इस मामले पर द वायर की बातचीत.

पेगासस जासूसी: ममता बनर्जी ने मोदी सरकार को दी चुनौती

वीडियो: पेगासस जासूसी विवाद को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने जांच आयोग गठित किया है. इसकी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि हमें उम्मीद थी कि केंद्र एक जांच आयोग गठित करेगा, लेकिन वह हाथ पर हाथ रखकर बैठा है, इसलिए हमने ऐसा फैसला किया. पश्चिम बंगाल ऐसा क़दम उठाने वाला पहला राज्य है.

सर्विलांस तकनीक की बिक्री, लेनदेन और इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगाए सरकारें: सामाजिक संगठन

डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले एक्सेस नाउ और सौ के क़रीब नागरिक समाज संगठनों व स्वतंत्र विशेषज्ञों का कहना है कि वे एनएसओ ग्रुप के स्पायवेयर द्वारा विश्वभर में बड़े पैमाने पर हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन संबंधी खुलासों से चिंतित हैं और सरकारों को इसे नियंत्रित करने के लिए क़दम उठाने चाहिए.

पेगासस पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार, पूछा- सरकार बताए स्पायवेयर प्रयोग किया या नहीं

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल है, ने सिलसिलेवार रिपोर्ट्स में बताया है कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में शामिल थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग की गई या वे संभावित निशाने पर थे.

संभावित जासूसी सूची में थे ईडी, पीएमओ, नीति आयोग के अधिकारियों व केजरीवाल के सहयोगी के नंबर

पेगासस प्रोजेक्ट: लीक हुई सूची में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले और एयरसेल-मैक्सिस जैसे हाईप्रोफाइल मामले संभालने वाले प्रवर्तन निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी राजेश्वर सिंह, उनकी पत्नी और उनकी दो बहनों के नंबर भी शामिल हैं.

निगरानी सूची में जेट एयरवेज़, स्पाइसजेट समेत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के अफसरों के नाम शामिल

पेगासस प्रोजेक्ट: लीक हुए दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि पेगासस के ज़रिये संभावित निगरानी के दायरे में रिलायंस की दो कंपनियों, अडाणी समूह के अधिकारी, गेल इंडिया के पूर्व प्रमुख, म्युचुअल फंड से जुड़े लोगों और एयरसेल के प्रमोटर सी. शिवशंकरन के नंबर भी शामिल थे.

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