राजस्थान हाईकोर्ट के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा जारी 15 जून के स्थायी आदेश में कहा गया है कि न्यायिक अधिकारी और अदालत के कर्मचारी सोशल मीडिया पर उन मामलों पर राय व्यक्त करते हैं, जिससे उन्हें कोई मतलब नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि केंद्र इस संबंध में तीन हफ्ते के भीतर दिशानिर्देश जारी करे.