बिहार में आश्रय गृह समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आते हैं. पटना के पटेल नगर स्थित आश्रय गृह में तीन लड़कियों की मौत और कई की तबीयत बिगड़ने के बाद राज्य सरकार ने शेल्टर होम की निरीक्षिका को निलंबित किया है, साथ ही वहां कार्यरत अन्य कर्मियों को भी हटा दिया गया है.
विशेष रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले में स्थित कतर्निया घाट वन्यजीव अभयारण्य का मामला. वन अधिकार क़ानून लागू होने के 16 वर्ष बाद भी अभयारण्य के तहत आने वाले पांच वन ग्रामों को ही अब तक राजस्व गांव बनाया जा सका है और सिर्फ़ 273 लोगों को भूमि के व्यक्तिगत अधिकार दिए गए हैं, जबकि सभी वन ग्रामों व वन बस्तियों में 2,383 परिवार रह रहे हैं.
झारखंड में कथित तौर पर भूख से मौत के मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य के सुदूरवर्ती इलाके में आज भी लोग आदिम युग में जी रहे हैं. राशन लेने के लिए उन्हें आठ किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है. इन्हें स्वास्थ्य की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. पीने का शुद्ध पानी भी मयस्सर नहीं हो रहा है. जंगलों में रहने वाले इन लोगों की ज़मीन से ही सरकार खनिज निकाल रही है और ये लोग
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा झारखंड और बिहार के अभ्रक खदान वाले इलाकों में बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर किए गए सर्वेक्षण में ये खुलासा हुआ है.
बिहार का गया ज़िला भले ही धार्मिक कारणों से दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इस ज़िले पर एक और तमगा चस्पां हो गया है. गया इकलौता ज़िला बन गया है, जहां के सबसे ज़्यादा बच्चे बाल मज़दूर बनकर दूसरे राज्यों की फैक्ट्रियों में काम करने को मजबूर हैं.
सांसद समेत अन्य लोग फर्ज़ी कागज़ातों के ज़रिये दलित और आदिवासियों के अधिकार छीन रहे हैं.