मुंबई में हिंदू जनाक्रोश मोर्चा द्वारा पांच फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की. पीठ ने कहा कि अगर शीर्ष अदालत को नफ़रत फैलाने वाले भाषणों पर रोक लगाने के लिए आगे निर्देश देने के लिए कहा गया तो उसे बार-बार शर्मिंदा होना पड़ेगा.