कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि उसके पास सूचना है, जिसे हलफ़नामे के ज़रिये सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. यह इस बात की स्वीकारोक्ति है कि इस स्पायवेयर का उपयोग किया गया.पेगासस जासूसी मामले में केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हलफ़नामे में सूचना की जानकारी देने से राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा जुड़ा है.
चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर कहा कि सरकार को दस दिनों के भीतर इन आरोपों का जवाब देना होगा कि क्या इजरायली कंपनी के स्पाईवेयर का जासूसी में इस्तेमाल किया गया या नहीं.
आंध्र प्रदेश ने तेलंगाना के साथ विवाद को मध्यस्थता से सुलझाने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव को मानने से इनकार कर दिया है. इसके बाद आंध्र प्रदेश से ताल्लुक़ रखने वाले सीजेआई ने मामले की सुनवाई से अपने आप को अलग कर लिया.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 17 जुलाई को पाबंदियों में रियायत की घोषणा करते हुए 21 जुलाई को मनाए जाने वाले बकरीद के मद्देनज़र आवश्यक वस्तुओं के साथ कई अन्य तरह की दुकानों को भी 18, 19 और 20 जुलाई को सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक खुले रखने की अनुमति दी है.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने कोरोना महामारी के दौरान यात्रा के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए कांवड़ यात्रा पर पुनर्विचार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को 19 जुलाई तक सूचित करने के लिए कहा था. अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने कहा कि राज्य सरकार ने कांवड़ संघों से अपील की थी और वे सभी इस साल यात्रा बंद रखने पर सहमत हो गए हैं. पिछले साल भी महामारी के फैलने के बाद की गई इसी तरह की अपील के बाद यात्रा को रद्द कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक बात पूरी तरह से साफ़ है कि हम कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश सरकार को 100 फ़ीसदी उपस्थिति के साथ कांवड़ यात्रा आयोजित करने की अनुमति नहीं दे सकते. हम सभी भारत के नागरिक हैं. यह स्वतः संज्ञान मामला इसलिए लिया गया है, क्योंकि अनुच्छेद 21 हम सभी पर लागू होता है. यह हम सभी की सुरक्षा के लिए है.
इंसानियत का ज़िक्र कहीं तहखाने में फ़ेंक दी गई संवेदना को जगाने की ताक़त रखता है, इसीलिए सत्ता इस शब्द को बर्दाश्त नहीं कर सकती. बावजूद ऐतिहासिक दुरुपयोग के मानवता शब्द में एक विस्फोटक क्षमता है. इसे अगर ईमानदारी से इस्तेमाल करें, तो यह भीतर तक जमी बेहिसी की चट्टानी परतों को छिन्न-भिन्न कर सकता है.
दिल्ली सरकार ने इससे पहले दिल्ली पुलिस द्वारा सुझाए गए वकीलों के नामों को स्वीकार करने से मना कर दिया था. उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सरकार के आदेश को ख़ारिज करते हुए पुलिस द्वारा भेजे गए वकीलों के नाम स्वीकार करने को कहा.
बीते 28 मार्च की शाम दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर लॉकडाउन के बीच विभिन्न राज्यों से आए प्रवासी मज़दूरों की भीड़ घर जाने के लिए जुट गई. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि फेक न्यूज़ के कारण यह भीड़ जुटी थी.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लॉकडाउन के दौरान मज़दूरों की मुसीबतों को कवर करने वाले पत्रकारों की तुलना गिद्धों से की. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का नज़रिया.
वीडियो: प्रवासी श्रमिकों के संकट के कवरेज के लिए 27 मई को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष फोटो और वीडियो पत्रकारों के खिलाफ भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की टिप्पणी की ऑल इंडिया वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन ने आलोचना की है. इस पर चर्चा कर रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
फैक्ट चेक: सुप्रीम कोर्ट में 28 मई को प्रवासी मज़दूरों के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए क़दमों का ब्योरा देते समय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक पुरानी घटना का ज़िक्र करते हुए ऐसा इशारा किया था कि मज़दूरों की परेशानियों को दिखाते लोग गिद्धों की तरह हैं. पड़ताल बताती है कि यह घटना असल में हुई ही नहीं, यह एक झूठा वॉट्सऐप मैसेज है.
सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेताओं के नफ़रत भरे भाषण देने पर एफआईआर दर्ज करवाने के लिए याचिका लगाई गई है. इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंदर के एक पुराने भाषण के अंश का हवाला देते हुए उसे हिंसा भड़काने वाला कहा है.
पीठ के सामने ये सवाल था कि सरकार द्वारा सरकारी खजाने में जमा कराए गए मुआवजे को ‘मुआवजा अदा किया गया’ माना जाएगा या नहीं. इसे लेकर कोर्ट को भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 की धारा 24(2) की व्याख्या करनी थी.
बीते 27 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा नेताओं व अन्य के नफरती भाषणों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की याचिका पर सुनवाई को 13 अप्रैल तक स्थगित कर दिया था.