दिल्ली पुलिस का कहना है कि मौजूदा क़ानूनों के तहत किसी भी प्रकार के अनिश्चितकालिन अनशन, उपवास की अनुमति देने का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए सोनम वांगचुक और अन्य लोगों को जंतर-मंतर पर अनशन की इजाज़त नहीं दी जा सकती है.
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को पिछले दो दिनों से लद्दाख भवन में रहने के दौरान किसी से भी मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी. पुलिस ने शुक्रवार की रात उन्हें मीडिया से बातचीत करने की अनुमति दी.
लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे जलवायु एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने एक वीडियो जारी कर सवाल किया कि ट्रोल्स के पास उनके एनजीओ की 25 साल पुरानी जानकारी, जो सिर्फ उनके और गृह मंत्रालय के पास है, कैसे पहुंची.
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने, छठी अनुसूची में शामिल करने और नाजुक हिमालयी पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए दबाव बनाने के लिए अनशन पर बैठे एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने 21वें दिन इसे ख़त्म करते हुए कहा कि यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक नागरिक समूहों को यह महसूस नहीं होता कि उनकी मांगें पूरी हो गई हैं.