‘मन की बात’ उसी प्रकार की आत्मरति है जैसी स्टालिन या हिटलर को थी

बताया जाता है कि सोवियत यूनियन में आप स्टालिन की आवाज़ से बच नहीं सकते थे. सड़कों पर लाउडस्पीकरों से स्टालिन की आवाज़ आपका पीछा करती रहती थी. हिटलर ने आत्मप्रचार के लिए रेडियो का कैसा इस्तेमाल किया, यह जानी हुई बात है. भारत भी अब हिटलर और स्टालिन के रास्ते चल रहा है.