उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में आठ सीटों पर चुनाव होने हैं, इनमें से सात सीटों पर भाजपा का क़ब्ज़ा है. इन सीटों को बचाकर रखना उसके लिए चुनौतीपूर्ण नज़र आ रहा है, क्योंकि सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस प्रत्याशियों की वजह से मुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया है.
मुज़फ़्फ़रनगर दंगों पर राजनीतिक रोटियां सबने सेंक लीं पर दंगा पीड़ितों को न्याय नहीं मिला. जो लोग तब सरकार चला रहे थे वे कहते हैं कि दंगे नहीं रोक सकते थे. तो अब सवाल यह है कि इस बार उन्हें क्यों चुना जाए?
राष्ट्रवाद और सैन्य बलों को चुनाव प्रचार में घसीटकर उनका राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश मतदाताओं को आकर्षित करने की गारंटी नहीं है और इसका उलटा असर भी हो सकता है. चुनाव की तैयारी कर रहीं पार्टियों की रणनीति देखते हुए यह साफ़ हो रहा है कि कोई भी अपनी निर्णायक जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश में अस्मिता की राजनीति सबसे अधिक तीखी है. पटेल, कुर्मी, राजभर, चौहान, निषाद, कुर्मी-कुशवाहा आदि जातियों की अपनी पार्टियां बन चुकी हैं और उनकी अपनी जातियों पर पकड़ बेहद मज़बूत है. कांग्रेस को इन सबके बीच अपने लिए कम से कम 20 फीसदी से अधिक वोटों को जुगाड़ करना होगा तभी वह यूपी में सम्मानजनक स्थान पा सकती है.
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा अपनी स्थापना के बाद से सबसे कम सीटों पर लड़ेगी. एक तरह से वह बिना लड़े करीब 60 प्रतिशत सीटें हार गई है. सपा का बसपा से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो जाना हैरान करता है.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ‘द वायर हिंदी’ के दो साल पूरे होने पर नई दिल्ली में हुए ‘द वायर डॉयलॉग्स’ कार्यक्रम में लोकसभा चुनाव की रणनीति और बसपा के साथ किए गए गठबंधन पर अपने विचार रखे.
प्रियंका गांधी को कांग्रेस महासचिव बनाए जाने पर भाजपा ने कहा कि कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया कि राहुल गांधी पार्टी को नेतृत्व देने में असफल रहे.
साक्षात्कार: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की ख़ास बातचीत.
बसपा प्रमुख ने कहा, ‘राज्यसभा चुनाव परिणाम के बावजूद सपा-बसपा के बीच जारी तालमेल से भाजपा के लोग बहुत बुरी तरह परेशान हैं. मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि हमारी यह नजदीकी, अपने स्वार्थ के लिए नहीं है. यह जनहित में है.’
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव अभी राजनीति में थोड़े कम तजुर्बेकार हैं, अगर मैं उनकी जगह पर होती तो अपने उम्मीदवार के बजाए उनके उम्मीदवार को जिताने की कोशिश करती.
बहुजन समाज पार्टी ने दोनों सीटों पर होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को समर्थन देने को कहा है. दोनों सीटों पर 11 मार्च को चुनाव होने हैं.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में पार्टी ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पार्टी के लोग अपना वोट नहीं डालेंगे. वे अपने मताधिकार का ‘सही’ इस्तेमाल करेंगे.