उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले में बीते 28 मई से ज़हरीली शराब मौत मामले सामने आने का घटनाक्रम लगातार जारी है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. भानु प्रताप कल्याणी ने बताया कि ज़हरीली शराब से मौतों का मामला सामने आने के बाद से सोमवार दोपहर तक कुल 71 शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाए गए, जिनमें से 36 लोगों की मौत की वजह ज़हरीली शराब पीना है, जबकि 35 लोगों की मौत का कारण अभी संदिग्ध है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले में ज़हरीली शराब से मरने वालों के मामले लोधा ब्लॉक से बढ़कर अन्य ब्लॉकों तक फैल गए हैं. पुलिस ने इससे संबंधित मुक़दमों में वांछित 12 में से अब तक 11 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है. इसके अलावा शराब के अवैध कारोबार में लिप्त छह अन्य लोग भी गिरफ़्तार किए गए हैं. पुलिस सरगना अनिल चौधरी के क़रीबी ऋषि शर्मा की तलाश कर रही है, जिसके राजनीतिक लोगों से संबंध हैं.
घटना से प्रभावित लोगों में अधिकतर लोग अलीगढ़ के तीन थाना क्षेत्रों- लोढ़ा, खैर और जांवा के हैं. अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न अस्पतालों में शुक्रवार रात भर्ती किए गए कम से कम 28 मरीज़ों की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है. पुलिस ने मामले के सरगना समेत कुल पांच लोगों को गिरफ़्तार किया है और तीन अलग-अलग मामलों में 12 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ के लोधा थाना क्षेत्र का मामला. गंभीर हालात में कुछ ग्रामीणों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है. अलीगढ़ के ज़िलाधिकारी ने बताया कि घटना की समयबद्ध मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दे दिया गया है. यह जांच अपर जिलाधिकारी स्तर के एक अधिकारी द्वारा की जाएगी.
साल 2016 में गोपालगंज ज़िले के खजूरबानी इलाके में ज़हरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि चार लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई थी. इस मामले में कुल 14 लोग आरोपी थे, जिनमें से एक की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी.
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले का मामला. मृतक के परिजनों के दावे के इतर ज़िला प्रशासन ने शराब से मौत होने की बात से इनकार किया है. एफ़आईआर दर्ज करने के बाद थानाध्यक्ष को निलंबित करने के साथ सर्किल इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर कर दिया गया है. बिहार में साल 2016 से पूर्ण शराबबंदी है.
ग्राउंड रिपोर्ट: मुरैना ज़िले के मानपुर, छैरा समेत आसपास के कुछ गांवों में बीते हफ़्ते ज़हरीली शराब से 24 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद ज़िले के ही तीन अन्य गांवों में पांच और लोगों की जान गई. ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में फल-फूल रहे अवैध शराब के धंधे के बारे में कई शिकायतें कीं, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया.
राजस्थान के भरतपुर ज़िले के रूपवास थाना क्षेत्र के चक सामरी गांव का मामला. पिछले कुछ दिनों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में ज़हरीली शराब के सेवन से तकरीबन 36 लोगों की मौत हो चुकी है.
मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले के बागचीनी और सुमावली थाना क्षेत्र का मामला. राज्य सरकार ने इस घटना के सभी पहलुओं पर जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है. मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में सीधे तौर पर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा.
घटना मुरैना ज़िले के बागचीनी और सुमावली थाना क्षेत्र की है. पुलिस के अनुसार कुछ ग्रामीणों ने सफ़ेद रंग की शराब का सेवन किया, जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ी. मामले में संबंधित थाना प्रभारी को सस्पेंड कर दिया गया है.
मामला मध्य प्रदेश के उज्जैन का है. मृतक लोगों में से अधिकांश मज़दूर थे. उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि संभवत: डिनेचर्ड स्प्रिट पीने से इनकी मृत्यु हुई है. प्राथमिक जांच में दो-तीन संदिग्ध व्यक्तियों के नाम सामने आए हैं और उनके विरूद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है.
राज्य के तीन ज़िलों में ज़हरीली शराब पीने से दम तोड़ चुके लोगों की संख्या 112 हो चुकी है, जबकि कइयों का इलाज चल रहा है. बीमार लोगों ने बताया कि उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हुई है. वहीं पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्हें शव सौंपने में देर की जा रही है.
बुधवार रात से अब तक तरन तारण में 63, अमृतसर में 12 और गुरदासपुर के बटाला में 11 मौतें हुईं हैं. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि जहरीली शराब के उत्पादन और बिक्री को रोकने में पुलिस और आबकारी विभाग की नाकामी शर्मनाक है.
बीते दो दिनों में पंजाब के तीन ज़िलों में नकली शराब पीने से हुई 40 से अधिक मौतों के बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं. वहीं आंध्र प्रदेश में शराब न मिलने पर सैनेटाइजर पीने से दस लोगों की मौत होने का मामला सामने आया है.
शराब बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले ‘लाली गुड़’ की बिक्री पर लगी रोक. घटना के विरोध में गोलाघाट में कई संगठनों ने मार्च किया और असम के आबकारी मंत्री का पुतला फूंका. मरने वालों में अधिकांश जोरहाट और गोलाघाट के चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिक हैं.