मुंबईः स्टेट बैंक परिसर में बुर्क़े और स्कार्फ़ पर पाबंदी, विरोध के बाद निर्णय वापस लिया गया

भारतीय स्टेट बैंक की यह शाखा मुंबई के कुर्ला ईस्ट के नेहरू नगर में हैं, जो मुस्लिम बहुल इलाका है. सोशल मीडिया पर स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद बैंक ने शाखा परिसर में लगे इस नोटिस को हटा दिए जाने की बात कही और ट्वीट कर माफ़ी मांगी.

ब्रिटेन के हाईकोर्ट ने विजय माल्या को दिवालिया घोषित किया

क़र्ज़ वसूली से जुड़े मामले में 13 बैंकों के समूह याचिकाकर्ता हैं. याचिकाकर्ता एक अरब ब्रिटिश पाउंड के क़र्ज़ के संदर्भ में दिवालिया आदेश के क्रियान्वयन को लेकर कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं. भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के ख़िलाफ़ करीब 9,000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ की धोखाधड़ी और हेराफेरी का आरोप है. माल्या ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के बाद 2016 में देश छोड़ दिया था.

वित्त वर्ष 2020-21 में 12 सरकारी बैंकों में 81,921 करोड़ रुपये से ज़्यादा की धोखाधड़ी: आरटीआई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि कोविड-19 संकट से बुरी तरह प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक ऑफ इंडिया में सबसे ज़्यादा 12,184.66 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 177 मामले सूचित किए. उसके बाद भारतीय स्टेट बैंक में 10,879.28 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 5,725 मामले सामने आए हैं.

परिवार के ऊपर क़र्ज़ 2020-21 में उछलकर जीडीपी का 37.3 प्रतिशत पहुंचा: एसबीआई रिपोर्ट

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी की दूसरी लहर के कारण क़र्ज़ का यह अनुपात चालू वित्त वर्ष में और बढ़ सकता है. परिवारिक क़र्ज़ का स्तर जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से बढ़ रहा है. इससे पहले नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू की गई थी. परिवार पर बढ़ता क़र्ज़ का मतलब है कि उनकी वित्तीय बचत दर, खपत और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ने के कारण कम हुई है.

वर्ष 2020-21 के नौ महीनों में बैंकों ने 1.15 लाख करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते में डाला: सरकार

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19, और वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान क्रमश: 2.36 लाख करोड़ रुपये और 2.34 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला है. ऐसे ऋण जिसकी वसूली नहीं हो पाती है, बैंक उन्हें बट्टे खाते में डाल देते हैं.

एसबीआई ने लागत कम करने के लिए पेश की वीआरएस योजना, यूनियन ने कहा- मज़दूर विरोधी क़दम

वीआरएस योजना उन स्थायी कर्मचारियों के लिए है, जो बैंक में 25 साल काम कर चुके हैं या जिनकी उम्र 55 साल है. स्टेट बैंक के अनुसार, अनुमानित पात्र लोगों में से यदि 30 प्रतिशत ने भी वीआरएस लिया, तो जुलाई के वेतनमान के हिसाब से बैंक को 16 हज़ार करोड़ रुपये की बचत होगी. बैंक यूनियन योजना के ख़िलाफ़ है.

अनिल अंबानी से 1,200 करोड़ रुपये की वसूली के लिए एसबीआई एनसीएलटी पहुंचा

अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने कहा है कि यह अंबानी के व्यक्तिगत क़र्ज़ से जुड़ा मामला नहीं बल्कि रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इंफ्राटेल द्वारा लिए गए कॉरपोरेट ऋण से संबंधित है. स्टेट बैंक के आवेदन पर जवाब देने के लिए अंबानी को हफ़्ते भर का समय दिया गया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- एसबीआई हृदयहीन और अक्षम है

ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स कॉनफेडरेशन ने एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कथित रूप से फटकार लगाए जाने की ओलाचना की. हालांकि इसके बाद सीतारमण ने एक ट्वीट किया, जिसमें एआईबीओसी द्वारा ईमेल करके अपना बयान वापस लेने की जानकारी दी गई थी.

चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान: एसबीआई रिपोर्ट

एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.2 प्रतिशत रहने की संभावना है. इसका कारण वाहनों की बिक्री में कमी, हवाई यातायात में कमी, बुनियादी क्षेत्र की वृद्धि दर स्थिर रहने तथा निर्माण एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश में कमी है.

कैसे हुआ था रिज़र्व बैंक का बंटवारा

आज़ादी के 75 साल: 1947 में देश के विभाजन के बाद रिज़र्व बैंक ने कुछ समय तक पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक की भी ज़िम्मेदारी उठाई थी, जिसने आगे जाकर कई मुश्किलें खड़ी कर दीं.

डिफॉल्टर घोषित होने के बावजूद एसबीआई ने दिया था स्टर्लिंग समूह को 1300 करोड़ रुपये का क़र्ज़

2012 में क़रीब 81 करोड़ रुपये का क़र्ज़ न चुकाने पर स्टेट बैंक ऑफ मैसूर ने स्टर्लिंग समूह के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करवाया था. 2014 में इसके प्रमोटर्स को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया. लेकिन 2015 में आरबीआई के नियम के ख़िलाफ़ समूह की एक कंपनी को स्टेट बैंक के कंसोर्टियम द्वारा लोन दिया गया.

टाटा समूह का चुनावी चंदा 25 करोड़ से 500 करोड़ हुआ, किसे चंदा दे रहे हैं औद्योगिक घराने?

देश के ग़रीब प्रधानमंत्री ने चुनावी ख़र्चे का इतिहास ही बदल दिया है, इसलिए कॉरपोरेट को भी ज्यादा चंदा देना होगा. कॉरपोरेट नहीं बताना चाहते हैं कि वे किसे और कितना चंदा दे रहे हैं. उनकी सुविधा के लिए प्रधानमंत्री ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने का चतुर क़ानून बनाया और बड़ी आसानी से जनता को बेच दिया कि चुनावी प्रक्रिया को क्लीन किया जा रहा है.

बीते दस सालों में सात लाख करोड़ का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाला गया, 80% मोदी सरकार में हुआ

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दस सालों में सात लाख करोड़ से ज़्यादा का बैड लोन राइट ऑफ हुआ यानी न चुकाए गए क़र्ज़ को बट्टे खाते में डाला गया, जिसका 80 फीसदी जो लगभग 5,55,603 करोड़ रुपये है, बीते पांच सालों में बट्टे खाते में डाला गया.

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